पोप मेन्नैस धर्मबंधुओं से : जिनकी आप सेवा करते हैं, उनके पिता बनें

अपने धर्मसमाज की महासभा सम्मेलन के अवसर पर, पोप फ्राँसिस ने प्लोर्मेल के ख्रीस्तीय शिक्षा के धर्मबंधुओं - जिन्हें ला मेन्नैस ब्रदर्स के नाम से जाना जाता है - से आग्रह किया कि वे "ऐसे पिता बनें जो ईश्वर के प्रेमपूर्ण और दयालु चेहरे को प्रतिबिंबित करते हैं।"

22 अप्रैल को वाटिकन के कनसिस्ट्री सभागार में पोप फ्राँसिस ने प्लोर्मेल के ख्रीस्तीय शिक्षा के धर्मबंधुओं की महासभा सम्मेलन में प्रतिभागियों के साथ मुलाकात की। पोप ने पूजनीय जॉन-मेरी डे ला मेन्नैस और फादर गाब्रियल डेशायेस द्वारा निर्देशित धर्मसमाज के करिश्मे, अर्थात शिक्षा के माध्यम से बच्चों और युवाओं के बीच सुसमाचार प्रचार करने हेतु उन्हें तहे दिल से धन्यवाद दिया।

पोप ने कहा कि 2019 में मनाई गई उनकी स्थापना की 200वीं वर्षगांठ, उनके संस्थापकों की "मौलिक अंतर्दृष्टि की ओर लौटने" का एक अवसर है। आज उनका काम दुनिया भर के विभिन्न देशों में मौजूद है, क्योंकि उनका मानना​​है कि उन लोगों के लिए सब कुछ संभव है जो खुद को पूरी तरह से ईश्वर को सौंपते हैं और खुद को हर व्यक्ति के समग्र मानव विकास की सेवा में लगाते हैं। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम कहां से आए हैं और अपने कार्यों के कारणों की स्मृति को हमेशा बनाए रखना चाहिए।

पोप ने कहा कि वे दुनिया के उन क्षेत्रों में काम करते हैं जहां गरीबी, युवा बेरोजगारी और सभी प्रकार के सामाजिक संकट व्याप्त हैं। संत पापा उनसे आग्रह करते हुए कहा, “जिनकी आप सेवा करते हैं, उन लोगों के पिता बनें,  ऐसे पिता जो हमेशा बदलती दुनिया में ईश्वर के प्रेमपूर्ण और दयालु चेहरे को प्रतिबिंबित करते हैं, आप उदारतापूर्वक अपने आप को युवा लोगों की सेवा में लगायें, उनकी आकांक्षाओं के प्रति चौकस रहें, साथ ही अपने जीवन के सर्वोच्च नियम, मसीह की ओर मुड़ते रहें।”

पोप ने कहा कि ला मेन्नैस ब्रदर्स का आह्वान "वहां जाना है जहां अन्य लोग नहीं जाते हैं," परिधि पर, और उनसे युद्ध, उदासीनता और हमारी फेंकी हुई संस्कृति से पीड़ित लोगों के लिए "आशा का स्रोत बनने" का आग्रह किया।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये लोग भी सपने देखते हैं, लेकिन सपने अक्सर टूट जाते हैं। पोप फ्राँसिस ने कहा, "आप उन्हें उनके सपनों को पुनर्जीवित करने, उन पर विश्वास करने और उन्हें साकार करने में मदद करें।"

उन्होंने विशेष रूप से उन बच्चों को याद किया जो युद्ध के बीच भी खेलना जारी रखते हैं, लेकिन इस बात पर अफसोस जताया कि उन्होंने मुस्कुराने की क्षमता खो दी है।

पोप ने कहा, "एक बात जो मुझे प्रभावित करती है, वह है जब यूक्रेन से बच्चे यहां रोम आते हैं। ये बच्चे मुस्कुराते नहीं हैं: उन्होंने अपनी मुस्कान खो दी है।” उन्होंने धर्मबंधुओं से आह्वान किया कि वे "काम करें ताकि वे मुस्कुराने की क्षमता फिर से हासिल कर सकें।"

कलीसिया के भीतर उनके स्थान को समझाते हुए, संत पापा ने कहा कि कलीसिया एक परिवार है, जहां हर कोई मानवता के उद्धार के लिए अपने विभिन्न करिश्मे और व्यवसायों के साथ सहयोग करता है।

पोप ने कहा कि वे परमाध्यक्ष की प्रेरिताई के प्रति धर्मबंधुओं के "संतोषजनक विश्वास और लगाव" पर भरोसा करते हैं और उनसे उन धर्मप्रांतों में सहयोग करने का आह्वान किया जहाँ वे अपनी सेवा देते हैं।

साथ ही, उन्होंने उन्हें अहंकार, अलगाव, विभाजन और गपशप की किसी भी भावना से बचने की चेतावनी दी।

अंत में, पोप ने उन्हें अपने महासभा सम्मेलन के अंत में, कुंवारी मरिया के निष्कलंक हृदय के प्रति अपने संस्थान के समर्पण को नवीनीकृत करने के लिए आमंत्रित किया और प्रार्थना की कि माता मरिया उन्हें "सेवा करने के लिए उत्साह पैदा करने और विनम्रता विकसित करने में मदद करें। ईश्वर पर भरोसा रखें और उसकी कोमलता और दया के सेवक होने का आनंद लें।''