पास्का जागरण में पोप : ‘येसु के साथ कोई भी कब्र जीवन के आनंद को दबा नहीं सकता’
पास्का जागरण ख्रीस्तयाग में संत पापा फ्राँसिस ने हमें निमंत्रण दिया कि हम येसु की ओर देखें, जीवन के ईश्वर येसु को और याद दिलाया कि उनका स्वागत करने से कोई भी असफलता हमें निराशा की ओर नहीं ले जायेगी।
पोप फ्राँसिस ने 30 मार्च को संत पेत्रुस महागिरजाघर में पास्का जागरण का समारोही मिस्सा बलिदान अर्पित किया।
उन्होंने उपदेश में कहा, नारियाँ बड़े सबेरे कब्र के पास जाती हैं, यद्यपि उन्हें अब भी रात के अंधकार का अनुभव होता है। वे अपनी यात्रा जारी रखती हैं जबकि उनका हृदय अब भी क्रूस काठ के नीचे है। पुण्य शुक्रवार के आंसू अब तक सूखे नहीं हैं, वे दुःख से भरी हैं, वे देखी कही और सुनी गई बातों से अपने को बोझिल पाती हैं। एक पत्थर ने येसु के भाग्य को दबा कर रख दिया है। वे उस पत्थर के लिए चिंतित हैं, इस बात पर विस्मय करती हैं कि “कौन उनके लिए उस पत्थर को हटायेगा जो क्रब के द्वार पर रखा गया है।” इन सारी बातों पर विचार करते हुए वे वहाँ पहुंचतीं और पास्का की शक्ति को देखकर आश्चर्यचकित रह जाती हैं। “वे उस विशाल पत्थर को वहाँ से हटाया हुए पाती हैं।”
पोप ने कहा कि हम रुक कर इन दो विन्दुओँ पर चिंतन करें जो हमारे लिए पास्का की आश्चर्यजनक खुशी को अनुभव करने में मदद करेगी। नारियाँ अपने में चिंतित थी कि कौन उनके लिए उस पत्थर को क्रब से हटायेगा? और तब वे देखती हैं कि वह तो पहले से ही हटा दिया गया है।
पहले स्थान में हम उनमें सवाल को पाते हैं जो उनके हृदयों को चिंतित और विचलित करता है कि कौन उस पत्थर को हटायेगा? पत्थर येसु के जीवन वृतांत को खत्म कर देता है, जो अब मृत्यु में दफनाये गये हैं। उन्हें, जो दुनिया में जीवन लेकर आये, मारा डाला गया है। वे जिन्होंने पिता के करूणामय प्रेम को घोषित किया, क्रूरूता के शिकार हुए। वे जिन्होंने पापियों को उनके बोझ से मुक्ति दिलाई क्रूस पर सजा पाये। शांति के राजकुमार जिन्होंने व्यभिचार में पकड़ी गई नारी को पत्थरों से मारे जाने से बचाया, अब स्वयं विशाल एक पत्थर से दबाये गये हैं। वह पत्थर हमारे लिए एक बड़े अवरोध की ओर इंगित करता है जिसका अनुभव नारियाँ अपने हृदय में करती हैं। यह उनके आशा के अंत की ओर इंगित करता है जो दुःखों और अनिश्चिता में उनके सपनों को खत्म कर देता है।