धर्मबहनों के साथ छेड़छाड़ और पुरोहितों को पीटने वालों को "इनाम": भारतीय धर्माध्यक्षों ने सरकार से अपील की

हस्तक्षेप छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो धर्मबहनों की गिरफ़्तारी और पुरोहितों पर हमला करने वालों को आर्थिक इनाम देने की घोषणा के कुछ दिनों बाद "देश भर में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बढ़ते शत्रुता और हिंसा के माहौल" के मद्देनज़र, भारतीय धर्माध्यक्ष सरकार से राष्ट्र के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और गारंटी की अपील कर रहे हैं।
राष्ट्र के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और गारंटी होनी चाहिए। "देश भर में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बढ़ते शत्रुता और हिंसा के माहौल" के मद्देनज़र, भारतीय धर्माध्यक्ष सरकार से यही अपील कर रहे हैं।
भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) का यह हस्तक्षेप छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो धर्मबहनों की गिरफ़्तारी के कुछ दिनों बाद आया है, जहाँ सरकारी रेलवे पुलिस ने ग्रीन गार्डन सिस्टर्स की सिस्टर प्रीति मेरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस को हिरासत में लिया था।
धर्मबहनें तीन युवतियों और एक वयस्क आदिवासी पुरुष के साथ थीं, जो कथित तौर पर जगदलपुर धर्मप्रांत के नारायणपुर से उत्तर प्रदेश के आगरा जा रहे थे, जहाँ इनको एक काथलिक अस्पताल में नौकरी का प्रस्ताव दिया गया था। धर्माध्यक्षों ने कहा, "हालाँकि लड़कियाँ 18 साल से ज़्यादा उम्र की थीं और उन्होंने अपने माता-पिता की लिखित सहमति दे दी थी, फिर भी समुदाय के कुछ लोगों के दबाव के बाद धर्मबहनों को गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर कथित तौर पर शारीरिक हमले किए गए। जब लड़कियों के माता-पिता पुलिस स्टेशन पहुँचे, तो अधिकारियों ने कथित तौर पर उन्हें अपनी बेटियों से मिलने से रोक दिया।"
"धर्मबहनों को सामाजिक विघ्नकारी तत्वों द्वारा तेज़ी से निशाना बनाया जा रहा है, जो उन्हें रेलवे स्टेशनों पर घेर लेते हैं, भीड़ को उकसाते हैं और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। सीबीसीआई ने कहा, "ये हरकतें न केवल इन महिलाओं की गरिमा और इज्जत के लिए, बल्कि उनके जीवन के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करती हैं।" इन बार-बार होने वाली घटनाओं को "संविधान का गंभीर उल्लंघन" बताते हुए, भारतीय धर्माध्यक्षों ने भारतीय राज्य सरकारों से "सभी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने" का आग्रह किया, साथ ही दिल्ली स्थित केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की।
सीबीसीआई की चिंताएँ कई घटनाओं के बाद पैदा हुईं, जो धर्माध्यक्षों के अनुसार, "संस्थागत निष्पक्षता में गिरावट को दर्शाती हैं। ऐसी ही एक घटना 17 जून, 2025 को हुई, जब भाजपा सांसद श्री गोपीचंद पडलकर ने पुरोहितों पर हमला करने वालों को आर्थिक इनाम देने की घोषणा करके कथित तौर पर ख्रीस्तीयों के खिलाफ जनमत भड़काया।" भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों ने अपने बयान में सांसद के शब्दों को दोहराया: "जो कोई भी पहले पुरोहित को पीटेगा उसे पाँच लाख रुपये का इनाम मिलेगा, जो दूसरे को पीटेगा उसे चार लाख रुपये और तीसरे को तीन लाख रुपये मिलेंगे।"
भारतीय धर्माध्यक्षों ने स्पष्ट किया कि यह उकसावा "तत्काल कानूनी कार्रवाई को उचित ठहराता है। वीडियो और मीडिया के माध्यम से व्यापक रूप से प्रसारित यह भाषण स्पष्ट, प्रत्यक्ष था और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए एक वास्तविक खतरा दर्शाता है। इस तरह के कृत्य भारतीय न्याय संहिता (भारतीय दंड संहिता, जो 2024 में लागू हुई) के अनुच्छेद 152 के तहत एक गंभीर अपराध है, जो विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा पैदा करने को दंडित करता है। बयान की गंभीरता और संबंधित नागरिकों के शांतिपूर्ण विरोध के बावजूद, सक्षम अधिकारी अडिग रहे हैं।"
सीबीसीआई के अनुसार, "हालिया घटनाक्रम क़ानून के शासन के विघटन का संकेत देते हैं," और इससे "अराजकता पैदा होती है, जिसे कोई भी राष्ट्र बर्दाश्त नहीं कर सकता। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, भारतीय धर्माध्यक्षों ने भारत सरकार और सभी राजनीतिक दलों से सभी प्रकार की पक्षपातपूर्ण सोच को त्यागकर देश और उसके सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए उचित संवैधानिक उपाय अपनाने का आग्रह किया। संविधान में निहित सिद्धांतों की रक्षा और धर्म की परवाह किए बिना सभी नागरिकों की गरिमा और अधिकारों को बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।"
छत्तीसगढ़ सत्र न्यायालय द्वारा ज़मानत याचिका खारिज
काथलिक कनेक्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ सत्र न्यायालय ने गिरफ़्तार काथलिक धर्मबहनों की ओर से दायर ज़मानत याचिका सत्र न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया। न्यायालय ने कहा कि धारा 143 के तहत मामलों में ज़मानत देने का उसे अधिकार नहीं है। न्यायालय के अनुसार, इस मामले को बिलासपुर स्थित राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) अदालत में उठाया जाना चाहिए।
सीबीसीआई के जनसंपर्क अधिकारी ने पुष्टि की है कि कानूनी टीम अब जल्द से जल्द संबंधित एनआईए अदालत में ज़मानत याचिका दायर करेगी।
इसके अलावा, कानूनी टीम न्यायिक हिरासत आदेश को चुनौती देने की भी तैयारी कर रही है। प्रवक्ता ने सवाल किया, "अगर सत्र न्यायालय का दावा है कि वह धारा 143 के तहत ज़मानत देने के लिए सक्षम नहीं है, तो फिर किस आधार पर सिस्टरों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया?"
कलीसिया कानूनी प्रक्रिया पर गहरी चिंता व्यक्त करता रही है और उचित कानूनी तरीकों से न्याय सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। एनआईए अदालत द्वारा ज़मानत याचिका पर सुनवाई के बाद आगे की जानकारी मिलने की उम्मीद है।