डीआर कोंगो : “हर दिन की जिंदगी अस्तित्व की लड़ाई है”

गोमा के प्रमुख शहर के आसपास पिछले दिनों हिंसा में वृद्धि के बाद, कोनसोलाता मिशनरी ब्रदर अडोफे मुलेन्गेज़ी ने देश की भयावह स्थिति का वर्णन किया है।

डीआर कांगो में 1994 से ही लड़ाई चल रही है। देश में अस्थिरता का माहौल है, क्योंकि अलग-अलग सशस्त्र समूह खनिज-समृद्ध अफ्रीकी देश पर नियंत्रण के लिए लड़ रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों में संघर्ष और बढ़ गया है, क्योंकि जातीय तुत्सी के नेतृत्व में एम23 विद्रोही गोमा शहर पर कब्ज़ा करने के करीब पहुँच गए हैं।

बिगड़ती स्थिति
संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रवक्ता ने प्रमुख शहर गोमा की स्थिति का वर्णन करते हुए कहा, "सड़कें अवरुद्ध हैं, बंदरगाह बंद हैं और किवु झील को पार करने के लिए लोग कामचलाऊ नावों में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।"

हिंसा में तेजी के वृद्धि के कारण कई लोग अपने घरों में कैद हैं। ब्रदर अडोफे मुलेनगेजी के परिवार की स्थिति भी ऐसी ही है। वे एक कोनसोलाता मिशनरी हैं और रोम में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने वाटिकन न्यूज को बतलाया कि गोमा के लोग "गंभीर भय की स्थिति में जी रहे हैं और शहर अब दहशत की स्थिति में है।"

सोमवार को एम23 विद्रोही बलों ने गोमा शहर पर कब्ज़ा करने का दावा किया था, जिसके बाद से ब्र. एडोफ़े अपने परिवार से किसी भी तरह का संपर्क नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा, "मैं उनकी सुरक्षा के लिए लगातार प्रार्थना कर रहा हूँ," क्योंकि स्थिति अनिश्चित है और "कई लोग अत्यधिक संकट में जी रहे हैं।"

न सम्पर्क, न पानी, न बिजली
एम23 विद्रोहियों ने गोमा में हवाई अड्डे पर कब्ज़ा कर लिया है और 1,200 से ज्यादा कांगो सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। शहर में स्थिति "तेजी से बिगड़ रही है" इंटरनेट न होने, बिजली गुल होने, पानी की कमी और लूटपाट की खबरें आ रही हैं। ब्र. एडोफे ने बताया कि इन परिस्थितियों ने "लोगों को असुरक्षित स्थिति में डाल दिया है, और वे सेवाओं एवं संचार से कट गये हैं।"

सुरक्षा की तलाश में, ग्रामीण इलाकों के लोग शहर की ओर चले गए हैं। जहाँ, उन्हें भय और असहाय होने की भावना का सामना करना पड़ रहा।

कलीसिया की मदद
हिंसा के कारण कुछ ही दिनों में गोमा के आसपास के शिविरों में रहनेवाले लगभग 300,000 लोग बेघर हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र सहायता समन्वय कार्यालय, ओसीएचए ने बताया कि एक मानवीय गोदाम और स्वास्थ्य सुविधाओं को भी नुकसान पहुंचा है।

जनसंख्या की बढ़ती ज़रूरतों को देखते हुए, गोमा के धर्माध्यक्ष विलियम गुंबी ने 27 जनवरी को एक पत्र जारी कर हमलों की निंदा की है। चैरिटी मटानो जनरल अस्पताल में नवजात शिशु इकाई पर बमबारी की भी निंदा की गई है, जिसमें नवजात शिशुओं की मौत हो गई। धर्माध्यक्ष गुंबी ने समुदाय को सहायता प्रदान करके और प्रार्थनाओं के माध्यम से विस्थापित लोगों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए प्रोत्साहित किया।

पोप की यात्रा के दो साल बाद
पोप फ्राँसिस को कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य का दौरा किए दो साल हो चुके हैं। ब्र. एडोफे ने स्थिति को अपरिवर्तित बताया। उन्होंने दुःख जताते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि हम एक खाली उपकरण से बात कर रहे हैं, जो वास्तव में संदेश को पकड़ नहीं सकता," उन्होंने कहा कि, अगर कुछ हुआ है, तो वह यह है कि स्थिति और भी खराब हो गई है।

दशकों से, देश युद्ध में है और परिणामस्वरूप, ब्र. एडोफे ने समझाया, "जीवन की कोई गरिमा नहीं है।" "कांगो में, आप मुझे जीवन की गरिमा के बारे में नहीं बता सकते," उन्होंने कहा: "मैंने वास्तव में इस देश में एक इंसान होने का आनंद कभी नहीं लिया है, जो वास्तव में हर जगह खून से लथपथ है।"

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह कांगो में लोगों के लिए हस्तक्षेप करे। ब्र. एडोफे ने कहा, युद्ध अवश्य रुकना चाहिए। "हमें गोमा, डी.आर. कांगो को किसी भी अन्य राष्ट्र की तरह सांस लेने और जीने देना चाहिए क्योंकि हमें जीने का अधिकार है। हमें भी किसी दूसरे राष्ट्र की तरह जीवन जीने का अधिकार है।"