झारखंड के धर्मप्रांतों में जुबली वर्ष 2025 का उद्घाटन
पवित्र परिवार के पर्व दिन दिनांक 29 दिसंबर 2024 को झारखंड के धर्माध्यक्षों ने अपने अपने धर्मप्रांत में जुबली वर्ष 2025 "आशा के तीर्थयात्री" का उद्घाटन किया।
विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरुओं द्वारा प्रत्येक 25वें वर्ष में विभिन्न शीर्षक को लेकर जुबली वर्ष घोषित किया जाता रहा है। संत पिता फ्राँसिस ने वर्ष 2025 को जुबली का वर्ष घोषित किया है जिसका शीर्षक है "आशा के तीर्थयात्री" - आशा निराश नहीं करती। संत पापा फ्राँसिस ने विश्व के सभी काथलिक धर्मप्रांतों के धर्माध्यक्षों एवं महाधर्माध्यक्षों को पवित्र परिवार के पर्व दिन दिनांक 29 दिसंबर 2024 को अपने अपने धर्मप्रांत में जुबली वर्ष 2025 "आशा के तीर्थयात्री" का उद्घाटन करने का आदेश दिया।
इसी अध्यादेश का पालन करते हुए झारखंड के धर्माध्यक्षों ने अपने अपने धर्मप्रांतों में में जुबिली वर्ष 2025 का उद्घाटन किया।
रांची महाधर्मप्रांत में जुबली वर्ष 2025 का उद्घाटन
रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने पवित्र परिवार के पर्व दिन, रांची के संत मरिया महागिरजा घर में जुबली वर्ष 2025 "आशा के तीर्थयात्री" का उद्घाटन किया।
इस उद्घाटन समारोह की धर्मविधि महागिरजा परिसर में आरंभ हुई जिसकी अगुवाई रांची काथलिक महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने किया। इस जुबिली वर्ष के लिए एक विशेष क्रूस का निर्माण किया गया है जिसकी बनावट सामान्य क्रूस से भिन्न है। यह क्रूस दिखने में झुका हुआ और नीचे का हिस्सा जहाज के लंगर के समान है जो जीवन के हलचल में एक ठहराव प्रदान करने का प्रतीक है। चार रंग लाल, पीला, हरा, और नीला रंग के चार व्यक्ति एक के पीछे एक पीछे क्रूस पकड़े हुए हैं जो संपूर्ण मानव जाति का प्रतिनिधित्व करती है। इस क्रूस को रांची काथलिक महाधर्मप्रांत में पल्ली के माध्यम से सभी गांव और टोला में आराधना के लिए घुमाया जाएगा।
उद्घाटन समारोह में सभी लोग तीर्थयात्री का प्रतीक के रूप में अपने हाथों में मोमबत्ती लिए क्रूस के पीछे जुलुस में महागिरजाघर में प्रवेश किया। इसके पश्चात मिस्सा बलिदान समारोह में भाग लिया। महाधर्माध्यक्ष विंसेंट आईंद ने अपने प्रवचन में कहा कि "नाजरेथ के पवित्र परिवार के समान ही अपने परिवार को प्यार, स्नेह और क्षमा से भरें।"
मिस्सा के अंत में महाधर्माध्यक्ष ने इस जुबली वर्ष में आशा के तीर्थयात्री के रूप में तीर्थस्थल यात्रा करने का आह्वान किया। जिनमें क्षमता हो रोम जा सकते हैं, दूसरे पल्ली जा सकते हैं और जो बुजुर्ग हैं वे पड़ोसी के यहां यात्रा कर सकते हैं।