शुक्रवार धर्मसभा ब्रीफिंग: आप्रवासियों, महिलाओं, गरीबों पर ध्यान
सिनॉड महासभा के सूचना आयोग के अध्यक्ष पाओलो रूफिनी ने पत्रकारों के लिए दूसरी प्रेस ब्रीफिंग की तथा छोटे कार्य दल में चर्चा की गई विषयवस्तुओं को रेखांकित किया एवं पत्रकारों के साथ खुला हस्ताक्षेप किया जिसमें सूचना, कलीसिया एक परिवार के रूप में एवं दुराचार आदि शामिल थे।
धर्मसभा में शुक्रवार तक, जिन विषयों पर प्रकाश डाला गया, उनमें "सभी का प्रशिक्षण" शामिल था, जिसकी शुरुआत सेमिनारी छात्रों से हुई, फिर पुरोहितों, लोकधर्मियों और प्रचारकों के प्रशिक्षण पर ध्यान दिया गया; कलीसिया एक परिवार के रूप में है, जहां हर व्यक्ति के लिए जगह है; प्रार्थना; महिलाओं की भूमिका, अभिषिक्तों और बिना अभिषेक वालों की पुरोहिताई; यूखरिस्त और ईश वचन की केंद्रीयता; और गरीबों का महत्व "कलीसिया के लिए एक विकल्प के रूप में आदि पर विचार-विमर्श किये गये।" आप्रवासन की खौफनाक स्थिति, दुराचार, अत्याचार एवं पीड़ा में ख्रीस्तियों की स्थिति आदि विषय भी प्रमुखता से सामने आये। प्रतिभागियों ने यूक्रेन के लिए, युद्ध के दौरान उनकी पीड़ा एवं प्रेरणादायक कहानियों के लिए तालियाँ बजायी।
सिनॉडल महासभा के सूचना आयोग के अध्यक्ष एवं संचार विभाग के प्रिफेक्ट डॉ. पाओलो रूफिनी ने वाटिकन प्रेस कार्यालय में अपने दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में पत्रकारों के सामने इन सभी विषयों पर प्रकाश डाला।
प्रीफेक्ट की टिप्पणियाँ बृहस्पतिवार दोपहर और शनिवार सुबह के बीच सिनॉड की महासभा के 351 सदस्यों के काम से उपजी हैं, जो 35 छोटे कार्य समूहों में विभाजित हैं।
डॉ. रूफिनी ने पत्रकारों के साथ अपनी दैनिक मुलाकात की शुरुआत करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि "हमारे पास जो कुछ भी है वह आपको देने के लिए हम हर दिन अपना हरसंभव प्रयास करेंगे।"
बृहस्पतिवार दूसरी बेला डॉ. रूफिनी ने बतलाया कि सभा जो छोटे कार्य दलों में जारी रही, शाम में अपनी बातचीत के पहले भाग को समाप्त की।
शुक्रवार सुबह का सत्र, जिसमें पोप फ्राँसिस उपस्थित थे, दो पलों में विभाजित था: पहला, सभा में विभिन्न समूहों के तथाकथित "प्रतिवेदकों" की 18 रिपोर्टों के साथ; दूसरे पल में 22 व्यक्तिगत हस्तक्षेप शामिल थे।
इस चरण में प्रत्येक को तीन मिनट दिए गए थे, जो "बाद के अनुखंड की तुलना में थोड़ा अधिक संकुचित थे जहाँ प्रत्येक हस्तक्षेप के लिए चार मिनट होगी।" प्रत्येक हस्तक्षेप के बाद, मौन और प्रार्थना के लिए विराम का स्थान था।
दोपहर में, तीसरी आम सभा के साथ काम जारी रहा। डॉ. रूफिनी ने घोषित किया कि शुक्रवार को दूसरी बेला एल ई वी द्वारा प्रकाशित किताब (मूल रूप से इटालियन, अंग्रेजी एवं स्पानी में अनुवादित) दी जायेगी जिसमें दो हस्ताक्षेप संकलित हैं : एक पोप फ्राँसिस के द्वारा और एक पवित्रता एवं भ्रष्टाचार विषय पर कार्डिनल बेरगोलियो के द्वारा, जिसकी प्रस्तावना अभी भी अप्रकाशित है।
सूचना आयोग की सचिव शीला पीरेस ने बतलाया कि सभा “बहुत ही सिनॉल” माहौल में अलग-अलग छोटे कार्य समूहों की हो रही है : "लोग एक-दूसरे को जानने लगे हैं... हम वास्तव में एक साथ चल रहे हैं।" सबसे बढ़कर, "खुशी" का माहौल है, हालाँकि, निश्चित रूप से, "तनाव की भी कमी नहीं है।"
दक्षिणी अफ्रीका में काथलिक संचार के लंबे अनुभववाली मोजाम्बिक वासी ने कहा कि सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि प्रत्येक दल में विभिन्न महाद्वीपों के लोग एक साथ आते हैं: "उदाहरण के लिए, मेरे दल में एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और यूरोप के लोग हैं। यहां विविधता है, भाईचारा है, साथ मिलकर चलने की चाहत है।"
पीरेस ने भी डॉ. रूफिनी की तरह कुछ विषयवस्तुओं की सूची बनायी जो इन विगत दो सत्रों में सामने आये और जिनमें खासकर, कलीसिया एक परिवार की तरह जो हरेक का स्वागत करती है पर जोर दिया गया।
रूफिनी ने कहा, “यह एक आवर्ती विषयवस्तु है।” उसके बाद ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता एवं अंतरधार्मिक वार्ता, साथ ही साथ युवाओं की पहचान एवं महिलाओं की सहभागिता का महत्व आदि विषय भी रहे। इस संबंध में सुबह की सभा की शुरूआत एक धर्मबहन ने की। उन्होंने जोर दिया : “हम जितना हो सकता है उतना समावेशी होने की कोशिश कर रहे हैं।”
सब कुछ इस "प्रक्रिया" का हिस्सा है जिसमें "प्राथमिकता सुनना है", जैसा कि पोप ने कार्य के उद्घाटन पर कहा था। सुनना लेकिन "सुनने सीखना" भी, धर्मसभा के इन शुरुआती दिनों के मार्गदर्शक सिद्धांत हैं, जो प्रार्थना के कई क्षणों के साथ जुड़े हैं: विराम, चिंतन और आत्मपरख में मदद करता है।
डॉ. रूफिनी ने कहा, “और यह मित्रता के रिश्ते को भी मजबूत करता है। छोटे कार्य दल में मित्रता उत्पन्न हो चुकी है, हम मिले और यह समझने की कोशिश की कि कलीसिया को क्या चाहिए।" "ऐसा कहा गया कि निश्चित रूप से कठिनाइयाँ थीं और हमेशा रहेंगी लेकिन कई बाधाएँ आयेंगी क्योंकि संदर्भ बिंदु पीड़ित ख्रीस्त का शरीर है।"
संचार के प्रीफेक्ट ने बताया कि एक छोटे कार्य समूह में, विभिन्न विषयवस्तुओं जिनपर ध्यान केंद्रित किया गया, वे ये हैं, "कलीसिया की संरचनाओं का संशोधन, जैसे कलीसियाई कानून, परमाध्यक्षीय रोमी कार्यालय के आकार और प्रशिक्षण" आदि। संत जॉन पॉल द्वितीय और कलीसिया को "दो फेफड़ों" से सांस लेने के बारे में उनके ऐतिहासिक वाक्यांश का हवाला देते हुए, पूर्व-पश्चिम संबंध के विषय पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।