जब परिवार साथ बैठते हैं फिर भी अलग-अलग रहते हैं, तो कुछ टूट जाता है। माता-पिता फोन स्क्रॉल करते रहते हैं जबकि बच्चे टैबलेट में खो जाते हैं। हर कोई एक ही टेबल पर होता है लेकिन अलग-अलग दुनिया में रहता है। हमने इस अकेलेपन को नॉर्मल मान लिया है। अब हम इस पर मुश्किल से ही ध्यान देते हैं। लेकिन यह खामोश दरार हर उस चीज़ को खतरा पहुंचाती है जो हमें इंसान बनाती है।