मैं 20 साल तक बेंगलुरु में रहा। हफ़्ते में लगभग तीन से चार दिन मैं चिन्नास्वामी इंडोर स्टेडियम से गुज़रता था। मैंने क्रिकेट मैचों के लिए टिकट खरीदने के लिए लंबी कतारें देखी हैं। साथ ही, मैंने क्रिकेट मैचों के दौरान स्टेडियम में बड़ी भीड़ को प्रवेश करते और स्टेडियम से बाहर निकलते देखा है।