शिक्षाविद प्रवास और कानून के शासन पर चर्चा करने हेतु रोम में एकत्रित हुए

‘वैश्विक प्रवास और कानून का शासन’ वर्तमान में रोम में हो रहे एक सम्मेलन का शीर्षक है, जो बाइबिल की इस चेतावनी से प्रेरित है कि ‘तुम किसी अजनबी के साथ अन्याय नहीं करोगे या उस पर अत्याचार नहीं करोगे’।
लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो और रोम के पोंटिफ़िकल ग्रेगोरियन यूनिवर्सिटी ने मिलकर ‘वैश्विक प्रवासन और कानून के शासन’ पर एक सम्मेलन आयोजित किया है, जो शुक्रवार 11-12 अप्रैल रोम में आयोजित किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के एक वेब पेज पर लिखा गया है, “आज दुनिया भर में 281 मिलियन से ज़्यादा लोग अपने जन्म के देश से बाहर रह रहे हैं। जबकि लाखों अप्रवासी, उनके मूल देश और मेज़बान देश प्रवासन से लाभान्वित हुए हैं, आज प्रवासन का विषय दुनिया भर में कई जगहों पर, ख़ास तौर पर ‘वैश्विक उत्तर’ में एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है।”
“यह सम्मेलन, प्रवासन संकट के ऐतिहासिक कारणों, समकालीन तनावों को बढ़ाने और प्रभावी प्रवासन नियंत्रण के साथ कानून के शासन के सिद्धांतों को फिर से परिभाषित करने की चुनौतियों की पड़ताल करता है, जो संत पापा फ्राँसिस की बाइबिल की इस चेतावनी की याद दिलाता है कि ‘तुम किसी अजनबी के साथ अन्याय नहीं करोगे या उस पर अत्याचार नहीं करोगे।’”
सम्मेलन में वक्ताओं में लोयोला शिकागो और ग्रेगोरियन दोनों के अकादमिक स्टाफ शामिल हैं, साथ ही लैटिन अमेरिका के लिए पोंटिफिकल कमीशन के प्रमुख एमिल्स कुडा भी शामिल हैं।
लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो मध्य-पश्चिमी अमेरिकी शहर में स्थित एक जेसुइट संस्थान है और इसकी स्थापना 1870 में हुई थी। पोंटिफिकल ग्रेगोरियन यूनिवर्सिटी, जिसकी स्थापना 1551 में लोयोला के संत इग्नासियुस ने की थी, भी एक जेसुइट संस्थान है और यह कलीसिया संबंधी डिग्री प्रदान करता है।