निष्कलंक गर्भागमन पर्व पर पोप : मरियम के समान विश्वास करें, ईश्वर को “हाँ” कहें
कुँवारी मरियम के निष्कलंक गर्भागमन महापर्व के अवसर पर पोप लियो 14वें ने देवदूत प्रार्थना का पाठ करते हुए विश्वासियों को माता मरियम के समान विश्वास करने और अपने जीवन में येसु ख्रीस्त का स्वागत करने का निमंत्रण दिया।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में सोमवार 8 दिसम्बर को धन्य कुँवारी मरियम के निष्कलंक गर्भागमन महापर्व के अवसर पर पोप लियो 14वें ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।
देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने कहा, "आज हम धन्य कुँवारी मरियम के निष्कलंक गर्भागमन का महापर्व मना रहे हैं। हम अपनी खुशी प्रकट करते हैं क्योंकि स्वर्गीय पिता ने उन्हें आदी पाप के हर कलंक से बचाये रखा।" (पोप पीयुस 9वें, प्रेरितिक संविधान इनफाबिलिस देयूस, 8 दिसम्बर 1854) उन्हें पूरी तरह निर्दोष और पवित्र रखा ताकि हमारी मुक्ति के कार्य के “उनके एकलौटे बेटे... को सौंपा जा सकें...जिन्हें पिता दिल से चाहते हैं।”
उससे भी महान चमत्कार : मुक्तिदाता ख्रीस्त के एक मानव के रूप में आने को देखते हुए ईश्वर ने मरियम को एक अत्यन्त पवित्र हृदय की असाधारण कृपा प्रदान की (लूक.1:31-33)। कुँवारी मरियम ने इसे, दीनता पूर्वक, देवदूत के अभिवादन से जाना: “प्रणाम मरियम, कृपा से पूर्ण: प्रभु तेरे साथ है” ( 28) और विश्वास के साथ उसने अपनी “हाँ” में जवाब दिया: “देख, मैं प्रभु की दासी हूँ; तेरा वचन मुझमें पूरा हो।” (38)
इन शब्दों पर टिप्पणी करते हुए संत अगुस्टीन कहते हैं, मरियम ने विश्वास किया और उन्होंने जो विश्वास किया वह उनमें पूरा हुआ। (उपदेश 215, 4)
ईश्वर हमें स्वतंत्रता देते हैं
नाजरेथ की युवती में पूर्ण कृपा के वरदान ने फल लाया क्योंकि उन्होंने उसे पूरे हृदय से स्वीकारा और ईश्वर की योजना का आलिंगन किया। ईश्वर हमेशा ऐसा करते हैं : वे हमें महान वरदान देते हैं लेकिन इसे स्वीकार करने या न करने के लिए हमें स्वतंत्र छोड़ते हैं। यही कारण है कि संत अगुस्टीन आगे कहते हैं, “हम भी विश्वास करते हैं, क्योंकि जो [उनमें] हुआ, उससे हमें भी फायदा होता है।” और इसलिए यह महापर्व, जो हमें ईश्वर की माँ के निष्कलंक होने की खुशी मनाने का अवसर देता है, हमें भी उनकी तरह विश्वास करने के लिए बुलाता है, कि हम उस मिशन के लिए अपनी उदार सहमति दें जिसके लिए प्रभु हमें बुलाते हैं।
मरियम के गर्भाधान में जो चमत्कार हुआ, उसे हमारे लिए बपतिस्मा में दोहराया जाता है। आदी पाप से मुक्त होकर हम ईश्वर के बेटे-बेटियाँ, उनका निवास स्थान और पवित्र आत्मा के मंदिर बन गये हैं और जैसे मरियम ने एक खास कृपा के माध्यम से, खुद में येसु का स्वागत कर पाईं और उन्हें सभी लोगों को दे पाईं, वैसे ही “बपतिस्मा ख्रीस्त को हमारे अंदर लाता है और हमें उनके साथ रहने देता है, दुनिया को बदलने के लिए, हर कोई अपनी-अपनी क्षमता के हिसाब से कलीसिया में सहयोग करता है।” (पोप फ्राँसिस, 11 अप्रैल 2018)
हमारे बपतिस्मा का महत्व
पोप ने कहा, "प्यारे मित्रो, निष्कलंक गर्भागमन का वरदान कितना महान है, लेकिन बपतिस्मा संस्कार भी कम महान नहीं है जिसको हम ग्रहण करते हैं। प्रभु की माँ का “हाँ” अदभुत है और हमारा प्रत्युत्तर भी अनोखा है जिसको हम प्रार्थना में निष्ठा, कृतज्ञता, विनम्रता और धैर्यपूर्वक प्रतिदिन दोहराते हैं तथा प्यार के ठोस कामों में, अनोखे कामों से लेकर सबसे साधारण कोशिशों और सेवाओं तक। इस तरह, ख्रीस्त को हर जगह पहचाना जा सकता है, उनका स्वागत किया और उनसे प्रेम किया जा सकता है जिससे सभी को मुक्ति मिल सके।
आइए, आज, हम निष्कलंक मरियम की मध्यस्थता द्वारा, एक साथ उन्हीं शब्दों के लिए प्रार्थना करें जिनपर उन्होंने खुद सबसे पहले विश्वास किया था।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
कुँवारी मरियम को श्रद्धांजलि
देवदूत प्रार्थना के उपरांत पोप ने सभी का अभिवादन करते हुए कहा, “मैं आप सभी का सस्नेह अभिवादन करता हूँ जो रोम, इटली तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये हैं। विशेषकर स्पेन के विश्वासी।”
उन्होंने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विभिन्न दलों के विश्वासियों का अभिवादन करते हुए याद दिलाया कि दोपहर को रोम के पियात्सा स्पानिया में कुँवारी मरियम को श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी, जहाँ एक स्तम्भ पर माता मरियम की प्रतिमा स्थापित है। निष्कलंक गर्भागमन के महापर्व के दिन हर साल संत पापा माता मरियम की प्रतिमा के स्तम्भ पर पुष्पमाला अर्पित की जाती है।
यह त्योहार, धन्य कुवाँरी मरिया के निष्कलंक गर्भधारण को श्रद्धांजलि देने की परंपरा और भक्ति से जुड़ी हुई है। पोप लियो 14वें कुँवारी मरियम की प्रतिमा के सामने पारंपरिक श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। पिछले साल, 8 दिसंबर, 2024 को, संत पापा फ्राँसिस ने माता मरिया के चरणों में प्रार्थना की थी और जुबली वर्ष को उन्हें समर्पित किया था, जो संकटों और युद्धों से जूझ रहे मानव के लिए उम्मीद का संदेश था।" अब पोप लियो 14वें पवित्र वर्ष समाप्त होने से कुछ हफ़्ते पहले माता मरिया के पास आ रहे हैं।