विश्व युवा दिवस का इतिहास

विश्व युवा दिवस एक यात्रा है जिसकी शुरूआत संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने युवाओं की मुलाकात, शांति एवं सच्चाई की चाह का प्रत्युत्तर देते हुए की है।

23 मार्च 1986 को खजूर रविवार के दिन प्रथम विश्व युवा दिवस में, संत पापा जॉन पौल द्वितीय के दिल में विश्वभर के युवाओं की नजरें थीं, जिन्होंने कहा था, “प्रिय युवाओं, आज आप फिर यहाँ आये हैं, रोम में, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, युवा दिवस की परम्परा को बनाये रखते हुए, जिसको मनाने के लिए पूरी कलीसिया आमंत्रित है। मैं पूरे हृदय से आप सभी का स्वागत करता हूँ और उन सभी का भी अभिवादन करता हूँ जो न केवल रोम और इटली से बल्कि अन्य जगहों से भी आये हैं। युवा दिवस का विशेष अर्थ है, ईश्वर से मिलने जाना, जिन्होंने येसु ख्रीस्त के पास्का रहस्य द्वारा मानव इतिहास में प्रवेश किया। उन्होंने इसमें अपरिवर्तनीय तरीके से प्रवेश किया, और सबसे पहले वे आप युवाओं से मिलना चाहते हैं और यह बात हरेक के लिए मायने रखता है: “मेरे पीछे चले आओ, मैं मार्ग सत्य और जीवन हूँ।”प्रथम विश्व युवा दिवस की विषयवस्तु थी, “आशा के साक्षी बनने के लिए हमेशा तैयार रहें, जो आप हैं।”

अप्रैल 1987 में अर्जेंटीना के बोयनोस आयरिस में करीब 9 लाख युवाओं ने पोप के साथ प्रार्थना की जो पिछले साल की तुलना में दोगुणा थी। विश्व युवा दिवस का शीर्षक था, “हमने उस प्रेम को पहचान लिया है और विश्वास करते हैं जो हमारे लिए ईश्वर की ओर से है।” संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने दक्षिण अमेरिका, “आशा के महादेश”  से युवाओं को सम्बोधित किया : “युवाओ, ख्रीस्त, कलीसिया, दुनिया आपके जीवन के साक्ष्य का इंतजार कर रहे हैं जो ख्रीस्त द्वारा प्रकट सच्चाई पर आधारित हो। युवाओ, संत पापा आपके साक्ष्य के लिए आपको धन्यवाद देते हैं और प्रोत्साहन देते हैं कि आप हमेशा ईश्वर के प्रेम के साक्षी बनें, आशा के बीज बोयें एवं शांति का निर्माण करें।”
बर्लिन की दीवार गिरने से तीन महीने पहले, 1989 में, युवाओं ने स्पेन में विश्व युवा दिवस मनाया। 15 अगस्त को उन्होंने शांति के लिए प्रार्थना की। आदर्शवाक्य था : “मैं मार्ग, सत्य और जीवन हूँ।” माऊंड गोजा में जागरण प्रार्थना में करीब 6 लाख युवाओं ने हिस्सा लिया। संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, “आप यहाँ संतियागो में अपने विश्वास की जड़ों को खोजने आये हैं, उदार हृदय से अपने आपको समर्पित करने, 'नये धर्म प्रचार' की ओर बढ़ने, जो अब तीसरी सहस्राब्दी की दहलीज पर है।" उन्होंने कहा, “एक ख्रीस्तीय अपने भाइयों और बहनों और समाज की सेवा करने, हर इंसान की गरिमा को बढ़ावा देने और समर्थन करने, व्यक्ति के अधिकारों का सम्मान करने, उसका बचाव करने और उसे प्रोत्साहन देने, भाईचारा, स्वतंत्रता, न्याय और सत्य पर आधारित एक स्थायी और सच्ची शांति के शिल्पकार बनने के लिए बुलाया जाता है।
कम्युनिस्ट शासन के पतन के बाद 1991 में विश्व युवा दिवस यूरोप में नई सीमा और क्षितिज लायी। पोलैंड के पोप ने विश्वभर के युवाओं को ख्रीस्त पर विश्वास करने के लिए आमंत्रित किया। चेस्तोकोवा में करीब 15 लाख विश्वासी जमा हुए। जस्ना गोरा के तीर्थस्थल पर कुँवारी मरियम के स्वर्गोदग्रहण पर्व पर संत पापा ने पुष्टि दी कि यह विश्व युवा दिवस अलग है क्योंकि यह पहली बार है जब पूर्वी यूरोप के युवा इतनी भारी संख्या में जमा हुए थे। “हम पवित्र आत्मा के वरदान को पहचानने में कैसे असमर्थ हो सकते हैं?” उन्होंने कहा, “आप लोगों के साथ में आज उन्हें धन्यवाद देना चाहूँगा। व्यावहारिक रूप से दुर्गम सीमाओं की लंबी अवधि के बाद, यूरोप में कलीसिया अब दोनों फेफड़ों से स्वतंत्र रूप से सांस ले सकता है।”  
अगस्त 1993 में विश्व युवा दिवस के अवसर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के डेनवर की सड़कों पर पहली बार क्रूस रास्ता किया गया। युवाओं के साथ जागरण प्रार्थना में संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने येसु के जीवन पर चिंतन किया। पोप ने कहा, “मैं आपसे सत्य के प्रति प्रतिबद्ध होने का साहस करने का प्रोत्साहन देता हूँ। जीवन पर येसु द्वारा सुसमाचार में सिखाये गये संदेश पर विश्वास करने का साहस बनाये रखें। ईश्वर ने जो कुछ भी बनाया है उसकी सुंदरता और आप में से प्रत्येक के लिए उसके प्रेम हेतु अपने दिमाग और दिल को खोलें। येसु भेड़ों के द्वार होने से कभी नहीं थकते। और इस तथ्य के बावजूद कि मानव इतिहास मे जीवन के विरुद्ध पाप किया है, वे उसी शक्ति और प्रेम से प्यार करना नहीं छोड़ते: 'मैं इसलिए आया हूँ ताकि वे जीवन पा सकें और प्रचुर मात्रा में पा सकें।'
जनवरी 1995 में संत पापा फ्राँसिस ने फिलिपींस, पापुआ न्यू गिनी, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका की प्रेरितिक यात्रा की। विश्व युवा दिवस मनिला में सम्पन्न हुआ जहाँ रिजाल पार्क में करीब पाँच लाख युवा जमा हुए। उस वर्ष के विश्व युवा दिवस की विषयवस्तु थी, “जिस तरह पिता ने मुझे भेजा है उसी तरह मैं तुम्हें भेजता हूँ।” जागरण प्रार्थना के दौरान संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने युवाओं से कहा, “कलीसिया और पोप,10वें विश्व युवा दिवस के अवसर पर आप युवाओं से क्या उम्मीद करते हैं? कि आप येसु ख्रीस्त पर विश्वास करें, और यह कि आप सच्ची मुक्ति और मानवता की सच्ची प्रगति के लिए मसीह के संदेश में निहित सभी बातों का प्रचार करना सीखें। यही ख्रीस्त आपसे आशा करते हैं। यही कलीसिया फिलीपींस, एशिया, दुनिया के युवाओं से उम्मीद करती है।"

अगस्त 1997 को पेरिस में आयोजित विश्व युवा दिवस में एक लाख से अधिक विश्वासियों ने भाग लिया। इसका आदर्शवाक्य था, “रब्बी, आप कहाँ रहते हैं? आओ और देखो।” 24 अगस्त के ख्रीस्तयाग में संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए उनके बपतिस्मा में प्राप्त विश्वास के वरदान एवं उसके नवीनीकरण पर जोर दिया : “आपकी यात्रा यहाँ समाप्त नहीं होती। समय आज समाप्त नहीं होता। दुनिया की सड़कों पर जायें, मानवता की सड़कों पर, ख्रीस्त की कलीसिया से जुड़े रहें। ईश्वर की महिमा, ईश्वर के प्रेम पर चिंतन करते रहें और आप प्रेम की सभ्यता निर्माण करने के लिए आलोकित होंगे, लोगों को प्रज्ञा एवं अनन्त प्रेम में परिवर्तित दुनिया को देखने में मदद देंगे।   
2000 में विश्व युवा दिवस इटली के रोम में आयोजित किया गया था। विषयवस्तु थी: “आर शब्द देह बना और हमारे बीच रहा।” महा जयन्ती मनाने के लिए विश्वभर के विश्वासी तीर्थयात्रा पर रोम आये। तोर वेरगाता में, 19 अगस्त को जागरण प्रार्थना के दौरान संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने करीब दो लाख युवाओं को सम्बोधित किया। “नई शताब्दी के युवाओं, आप येसु को हाँ कहें, आप अपने श्रेष्ठ आदर्शों के लिए "हाँ" कहें। मैं प्रार्थना करना हूँ कि वे आपके दिलों, नई शताब्दी एवं सहस्राब्दी की मानवता में राज करें। नहीं डरें, अपने आपको प्रभु को समर्पित करें। वे आपका मार्गदर्शन करेंगे, आपको शक्ति प्रदान करेंगे ताकि आप हर दिन और हरेक परिस्थिति में उनका अनुसरण कर सकेंगे।  
जुलाई 2002 को संत पापा जॉन पौल द्वितीय टोरोन्टो, ग्वाटेमाला सिटी और मेक्सिको सिटी की प्रेरितिक यात्रा पर निकले। कनाडा में करीब 8 लाख युवाओं ने पोप का स्वागत किया यह उनका अंतिम विश्व युवा दिवस था। विषयवस्तु थी, “तुम पृथ्वी के नमक हो ... तुम संसार की ज्योति हो।” 28 जुलाई को संत पापा ने टोरोन्टो के डाऊनसव्यू पार्क में ख्रीस्तयाग अर्पित किया जहाँ युवाओं को सम्बोधित कर कहा, “आप जवान हैं और पोप बुजूर्ग, 82 या 83 साल का होना 22 या 23 साल के होने के समान नहीं है। लेकिन पोप अभी भी आपकी अपेक्षाओं और आशाओं को पहचानते हैं। मैंने बहुत अंधेरे में, कठोर अधिनायकवादी शासन के समय को पार किया हूँ, मैंने बहुत कुछ देखा है और मैं इस बात पर पूरी तरह आश्वस्त हूँ कि कोई भी कठिनाई, कोई भी डर इतना बड़ा नहीं है कि युवाओं के दिलों में हमेशा पनपनेवाली आशा को पूरी तरह से दबा सके। आप हमारी आशा हैं, युवा हमारी आशा हैं। उस आशा को मरने न दें! इस पर अपना जीवन दांव पर लगायें! हम अपनी कमज़ोरियों और असफलताओं के योग नहीं हैं; इसके विपरीत, हम अपने प्रति पिता के प्रेम और उसके पुत्र की छवि बनने की हमारी वास्तविक क्षमता के योग हैं"।

2005 में संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने अपने देश में विश्व युवा दिवस का नेतृत्व किया। जर्मनी में गर्मजोशी से उनका स्वागत किया गया। उन्होंने संत पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा सौंपे गये डंडे को संत पेत्रुस के पदचिन्हों पर चलते हुए आगे बढ़ाया। प्रतिभागियों के अनुमान एक बार फिर वास्तविकता से परे गये: राइन की ओर देखने वाले शहर में, जर्मन पोप के साथ प्रार्थना में लगभग एक लाख से अधिक युवाओं ने भाग लिया। आदर्शवाक्य था, “हम उनका दण्डवत करने आये हैं।” 21 अगस्त के मिस्सा बलिदान में संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ने क्षमाशीलता, दूसरों के निकट रहने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "मुझे पता है कि युवाओं के रूप में आप महान चीजों की आकांक्षा करते हैं, कि आप खुद को एक बेहतर दुनिया के लिए प्रतिबद्ध करना चाहते हैं इसे लोगों को दिखाएँ, दुनिया को दिखाएं, जिसके लिए येसु के शिष्यों के रूप में साक्ष्य देने और सबसे बढ़कर, आपके प्यार के माध्यम से, हम उस सितारे को खोज पाएंगे जिसका हम अनुसरण करते हैं।"

2008 में विश्व युवा दिवस ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था। विषयवस्तु थी, “तुम पवित्र आत्मा से सामर्थ्य प्राप्त करोगे, जो तुम पर उतरेगा और तुम उसके साक्षी होगे। 20 जुलाई को संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए समाज की बुराईयों के खिलाफ चेतावनी दी तथा युवाओं को नये युग का नबी परिभाषित किया। "प्रिय युवा मित्रों, प्रभु आपसे इस नए युग के पैगम्बर, उनके प्रेम के दूत, लोगों को पिता की ओर आकर्षित करने और समस्त मानवता के लिए आशा का भविष्य बनाने में सक्षम बनने के लिए बुला रहे हैं।" "चर्च को भी इस नवीनीकरण की आवश्यकता है! उसे आपके विश्वास, आपके आदर्शवाद और आपकी उदारता की आवश्यकता है, ताकि वह आत्मा में हमेशा युवा रह सके"।
अगला विश्व युवादिवस 2011 में स्पेन के मडरिड में आयोजित किया गया था। करीब दो लाख युवाओं ने संत पापा बेनेडिक्ट 16वें के साथ इस विश्व युवा दिवस में भाग लिया। संत पापा ने कहा, “प्रिय मित्रो, ईश्वर हमसे प्यार करते हैं। यह हमारे जीवन का महान सत्य है और यह बाकी सभी चीजों को अर्थ देता है। हम संयोग या तर्कहीनता के परिणाम नहीं हैं, बल्कि हमारे अस्तित्व के मूल में ईश्वर के प्रेम की एक योजना है। इसलिए उसके प्रेम में बने रहने का अर्थ है विश्वास में बने रहकर जीना, क्योंकि विश्वास कुछ अमूर्त सत्यों की सरल स्वीकृति नहीं है, बल्कि मसीह के साथ एक अंतरंग संबंध है जो हमें प्रेम के इस रहस्य के प्रति अपने हृदय को खोलने और लोगों के रूप में जीने की ओर ले जाता है। जो स्वयं को ईश्वर का प्रिय मानते हैं।''

संत पापा फ्राँसिस के नेतृत्व में पहला विश्व युवा दिवस 2013 में ब्राजील के रियो दी जनेइरो में सम्पन्न हुआ। करीब 4 लाख युवाओं ने अर्जेंटीना के पोप के साथ प्रार्थना की। इस बार के विश्व युवा दिवस की विषयवस्तु थी, “जाओ और सभी लोगों को शिष्य बना लो।” रविवार 28 जुलाई को कोपाकबाना समुद्र तट पर ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने तीन शब्द कहे : जाओ, बिना भय, सेवा करो। इन तीन शब्दों का अनुसरण करते हुए आप अनुभव करेंगे कि जो सुसमाचार का प्रचार करता है वह खुद सुसमाचार को ग्रहण करता, जो विश्वास के आनन्द को बांटता वह अधिक खुशी प्राप्त करता है। “प्यारे युवाओ जब आप घर लौटेंगे तो ख्रीस्त के लिए अधिक उदार होने से नहीं डरिये, आप सुसमाचार के साक्षी बनिए।” "सुसमाचार लेकर आने का अर्थ है बुराई और हिंसा को उखाड़ने और ध्वस्त करने, स्वार्थ, असहिष्णुता और नफरत की बाधाओं को नष्ट करने और एक नई दुनिया बनाने के लिए ईश्वर की शक्ति को लाना।"

2016 में पोलैंड में विश्व युवा दिवस आयोजित था। आदर्शवाक्य था, “धन्य हैं वे जो दयालु हैं, उनपर दया की जायेगी।” संत पापा जॉन पौल द्वितीय और संत फौस्तीना कोवालस्का के देश में संत पापा फ्राँसिस ने करीब डेढ़ लाख युवाओं के साथ जागरण प्रार्थना की। 30 जुलाई को क्रकॉव के मिसरिकोरदिया परिसर में संत पापा ने युवाओं को सम्बोधित किया, जिन्हें उन्होंने भविष्य के लिए अवसर के रूप में परिभाषित किया। उन्हें बड़ों को सीख देने का साहस करने हेतु प्रोत्साहित किया कि दीवार खड़ा करने की अपेक्षा सेतु का निर्माण करना सहज है। पोप ने युवाओं को चुनौती देते हुए कहा, “आज येसु जो मार्ग हैं, आपको बुला रहे हैं, आपको इतिहास में निशान छोड़ने के लिए कह रहे हैं। वे जो जीवन हैं, आपको छाप छोड़ने के लिए कह रहे हैं जो आपकी कहानी को जीवन से भर देता है। वे जो सच्चाई हैं, आपको पृथक, विभाजन, बेकार के रास्ते को छोड़ने के लिए कह रहे हैं।

जनवरी 2019 में करीब 7 लाख युवाओं ने संत पापा फ्राँसिस के साथ पनामा के विश्व युवा दिवस में भाग लिया। इसकी विषयवस्तु थी, “मैं प्रभु की दासी हूँ, आपका कथन मुझमें पूरा हो जाए।” भौगोलिक रूप से सम्मेलन एक ऐसे स्थान पर हुआ जहाँ गंभीर सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक समस्याएँ थीं, जबरन पलायन, हिंसा, नशीली पदार्थों की तस्करी हो रहे थे। वहाँ करीब एक हजार आदिवासी युवाओं ने भी भाग लिया था। संत पापा ने मरियम के “हाँ” की याद की और युवाओं का आह्वान किया कि वे अपनी शक्ति पर ध्यान दें जो दुनिया बदल सकती है। उन्होंने युवाओं को जोर देकर कहा, “हम रास्ते पर हैं, चलते रहें, विश्वास को जीते रहें और बांटें। यह न भूलें कि आप अतीत नहीं हैं, आप ‘अब तक’ नहीं हैं बल्कि ईश्वर के ‘अभी’ हैं।”

आगामी विश्व युवा दिवस पुर्तगाल के लिस्बन में 1 से 6 अगस्त 2023 को सम्पन्न होगा। संत पापा फ्राँसिस इस युवा दिवस की अध्यक्षता करेंगे जिसमें भाग लेने के लिए करीब 4 लाख से अधिक युवाओं ने पंजीकरण कराया है।