इथियोपिया ने विश्व अंतरधार्मिक सद्भाव सप्ताह की मेजबानी की

अदीस अबाबा में आयोजित तीसरे विश्व अंतरधार्मिक सद्भाव सप्ताह मंच ने शांति निर्माण, जलवायु न्याय और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वैश्विक आस्था नेताओं को एक साथ लाया है, और इसमें काथलिकों की मजबूत भागीदारी देखी गई।

“स्वर्णिम नियम: दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते हैं कि आपके साथ किया जाए” की भावना और “उबंटू” के अफ्रीकी दर्शन ने इथियोपिया के अदीस अबाबा में आयोजित तीसरे विश्व अंतरधार्मिक सद्भाव सप्ताह के लिए विविध धार्मिक समुदायों को एक साथ लाया।

यह आयोजन, जिसका उद्देश्य धार्मिक समूहों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देना है, अफ्रीकी संघ के हाल ही में जी20 के सदस्य के रूप में शामिल किए जाने के साथ मेल खाता है।

उच्च-स्तरीय अंतरधार्मिक मंच हिल्टन इंटरनेशनल होटल में “सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाना, अफ्रीकी संघ एजेंडा 2063 और दक्षिण अफ्रीका का 2025 जी20 शिखर सम्मेलन” विषय के तहत आयोजित किया गया था।

इथियोपिया की अंतर-धार्मिक परिषद, अफ्रीकी संघ और संयुक्त धर्म पहल के सहयोगात्मक प्रयास से आयोजित इस सम्मेलन ने पूरे महाद्वीप में सतत और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में आस्था की भूमिका पर जोर दिया।

विशिष्ट अतिथियों में इथियोपिया की संघीय सरकार के अध्यक्ष महामहिम टाय एट्सके सेलासी शामिल थे। इस अवसर पर अफ्रीकी संघ आयोग के अध्यक्ष महमूद अली यूसुफ, आदिग्रात के धर्माध्यक्ष टेस्फासेलासी मेदिन तथा विभिन्न संप्रदायों के अनेक धार्मिक नेता उपस्थित थे।

जीवंत शांति के लिए एक मंच
इथियोपिया के राष्ट्रपति ने कहा कि सम्मेलन अफ्रीका में न्याय और शांति के लिए महत्वपूर्ण योगदान देता है, उन्होंने स्वर्णिम नियम को मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में उद्धृत किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि सम्मेलन का संकल्प इथियोपिया में राष्ट्रीय संवाद प्रक्रिया के लिए एक मूल्यवान इनपुट के रूप में काम करेगा।

सम्मेलन के दौरान संबोधित किए गए प्रमुख विषयों में अफ्रीका में जी20 एजेंडे में आस्था समुदायों के योगदान से लेकर जलवायु चुनौतियों, महिला नेतृत्व, मानव तस्करी और शांति निर्माण के लिए अंतरधार्मिक सहयोग तक शामिल थे।

चर्चा में धर्म की स्वतंत्रता, मानवीय गरिमा और घृणास्पद भाषण, ज़ेनोफ़ोबिया और भ्रष्टाचार का मुकाबला करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

धर्माध्यक्ष मेदिन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि "धार्मिक नेता" व्यक्तियों और विश्वासियों के साथ अपने घनिष्ठ और निरंतर जुड़ाव के कारण चल रही शांति निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय रूप से योगदान देने हेतु अद्वितीय स्थान रखते हैं।

काथलिक उपस्थिति और साक्ष्य
फोरम में काथलिक उपस्थिति का जोरदार अहसास हुआ, जिसमें कई पुरोहितों,  धर्मबहनों और काथलिक नेताओं ने प्रमुख चर्चाओं में योगदान दिया।

उन्होंने शांति स्थापना, जलवायु न्याय और धार्मिक स्वतंत्रता से लेकर मानव तस्करी से निपटने और महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर बात की, जो काथलिक सामाजिक शिक्षाओं को दर्शाता है।

सम्मेलन में जुबली वर्ष और थीम "आशा के तीर्थयात्री" जैसे चल रहे काथलिक मील के पत्थर भी गूंजे, साथ ही द्वितीय वाटिकन सभा की 60वीं वर्षगांठ भी, जिसने आधुनिक दुनिया में कलीसिया के मिशन और सभी आस्थावान लोगों के बीच एकता के महत्व की पुष्टि की।

संत पापा फ्राँसिस की विरासत
दिवंगत संत पापा फ्राँसिस के मजिस्टेरियम, विशेष रूप से उनके तीसरे विश्वपत्र फ्रातेल्ली तुत्ती को अक्सर अंतर-धार्मिक सहयोग और सार्वभौमिक भाईचारे के लिए मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में संदर्भित किया जाता था।

विभाजन और अनिश्चितता से भरे समय में, सम्मेलन ने वैश्विक मंच पर अफ्रीका की भूमिका को आकार देने और साझा नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के माध्यम से समावेशी प्रगति को बढ़ावा देने में अंतरधार्मिक सहयोग के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित किया।

सम्मेलन ने “स्वर्णिम नियम” की अत्यधिक सराहना की क्योंकि यह शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए आधारभूत दिशानिर्देश है और इसे अक्सर अंतरधार्मिक और शांति निर्माण प्रयासों में लागू किया जाता है, क्योंकि यह विशिष्ट धार्मिक सिद्धांतों से परे है और साझा मानवीय मूल्य की बात करता है।

तीसरे विश्व अंतरधार्मिक सद्भाव सप्ताह का समापन संत पापा फ्राँसिस की याद में मौन के क्षण के साथ हुआ, जिसमें धर्मों के बीच पुल बनाने वाले और गरीबों, हाशिए पर पड़े लोगों और ग्रह के लिए अथक वकील के रूप में उनकी विरासत का सम्मान किया गया।