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कलीसिया सबके लिये, पोप फ्राँसिस
वाटिकन के सन्त मर्था प्रेरितिक भवन में गुरुवार को इताली स्विज़ रेडियो एवं टेलेविज़न को दी एक भेंट वार्ता में पोप फ्राँसिस ने आतिथेय की संस्कृति को पोषित करने की आवश्यकता, यूक्रेन में युद्ध और अन्य संघर्ष, अपने पूर्ववर्ती पोप के साथ संबंध तथा अनन्त जीवन आदि पर विषयों को सम्बोधित किया है।
इताली स्विज़ रेडियो एवं टेलेविज़न के पत्रकार पाओलो रोदारी ने पोप फ्राँसिस के परमाध्यक्षीय काल की दसवी वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में उनसे बातचीत की, जिसका प्रसारण 12 मार्च को वर्षगाँठ की पूर्वसन्ध्या निर्धारित किया गया है।
भेंटवार्ता में पोप फ्राँसिस ने बताया कि वे इस्तीफा देने के बारे में नहीं सोच रहे हैं, तथापि, उन्होंने बताया कि ऐसा स्थिति बन सकती है जिसमें: "व्यक्ति थकान महसूस करे और चीजों को स्पष्ट रूप से देखने न दे। स्पष्टता की कमी हो सकती है, यह जानने की कि स्थितियों का मूल्यांकन कैसे किया जाए"।
बोयनुस आयरस के जीवन को सन्त पापा सबसे ज्यादा याद करते हैं, और कहते हैं, "चलना, सड़क पर उतरना" उन्हें बहुत याद आता है, तथापि, कहते हैं कि रोम में वे खुश हैं, रोम एक अनन्त शहर है, यह "एक अनूठा शहर", है, हालांकि यहाँ भी चिन्ताओं की कमी नहीं है।
यूक्रेन में जारी युद्ध के विषय में कहते हैं, हम "एक विश्व युद्ध में हैं"। "यह टुकड़ों में शुरू हुआ था किन्तु अब कोई नहीं कह सकता कि यह विश्वव्यापी नहीं है, क्योंकि इसमें सभी महाशक्तियां उलझी हुई हैं, और युद्ध का मैदान यूक्रेन है। हर कोई वहां लड़ रहा है।" पुतिन के विषय में सन्त पापा कहते हैं कि पुतिन जानते हैं कि वे उनसे मिलना चाहेंगे, "लेकिन वहां साम्राज्यवादी हित हैं, न केवल रूसी साम्राज्य के, बल्कि अन्य साम्राज्यों के भी।"
पोप ने कहा कि हालांकि, वे ग़रीबों को प्राथमिकता देते हैं तथापि, इसका यह अर्थ नहीं उन्होंने अन्यों का परित्याग कर दिया है। उन्होंने स्मरण दिलाया कि प्रभु येसु मसीह की करुणा ग़रीबों के प्रति थी तथापि, धनवानों को वे दूर नहीं करते हैं।
पोप ने कहा कि प्रभु येसु सभी को एक ही मेज़ पर भोजन के लिये आमंत्रित करते हैं, इसका अर्थ है कि कोई भी बहिष्कृत नहीं है। जब मेहमान दावत में नहीं आए, तो उन्होंने कहा कि मुख्य सड़कों पर जाओ और बीमार, अच्छे और बुरे, छोटे और बड़े, अमीर और ग़रीब, सभी को भोज में बुलाओ।
पोप ने कहा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कलीसिया केवल कुछ लोगों का घर नहीं है, कलीसिया चयनात्मक नहीं है, यह सभी का घर है, जिसमें प्रत्येक आमंत्रित है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कुछेक लोग स्वतः को दूसरों से अधिक धर्मी अनुभव करते हैं, पर यह ठीक नहीं है, क्योंकि ईश्वर के समक्ष हम सब पापी हैं। सांसारिक व्यर्थता में कुछेक लोग स्वतः को दूसरों से अधिक धर्मी अनुभव करते हैं, जो अनुचित है। सत्य के समक्ष हम सब पापी हैं।
निरर्थक बकवाद पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि बकवाद शांति और सह-अस्तित्व को तथा परिवार को नष्ट कर देती है। यह एक गुप्त रोग है। यह एक प्लेग है, महामारी है।
पोप बेनेडिक्ट 16 वें के विषय में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि वे धर्मसिद्धान्त और विश्वास के महान ज्ञाता के साथ-साथ एक धर्मी पुरुष थे जिनसे मेरा लगाव रहा। उन्होंने कहा कि सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें को उनके अन्तिम समय तक विश्वव्यापी स्थितियों का पूरा-पूरा ज्ञान था तथा हर बार उनके साथ बातचीत आनन्द का अवसर हुआ करता था। उन्होंने कहा, कई बार उन्होंने मुझपर अपने मत प्रकट किये, कई सुझाव दिये, वे हमेशा संतुलित, सकारात्मक, बुद्धिमान व्यक्ति रहे।
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