यद्यपि प्रारम्भ में मार्गरेट के के अधिकारियों ने इस बात का विरोध किन्तु धन्य क्लाउड डी ला कोलुन्बीए नामक येसु समाजी पुरोहित की प्रेरणा से जिन्हे प्रभु ने अपनी प्रिय शिष्या की सहायता के लिए चुना था, अधिकारियों के हृदय बदल गए। उन्होंने मार्गरेट से क्षमा याचना की और प्रभु येसु की इच्छानुसार उनके पवित्रतम हृदय की भक्ति के प्रचार करने तथा विशेष पर्व की स्थापना के लिए सहमत हुए। संत मार्गरेट एवं फादर डी ला कोलुन्बीए की प्रेरणा एवं परिश्रम से पवित्रतम हृदय की भक्ति यथाशीघ्र चारों ओर फ़ैल गयी और धीरे-धीरे सम्पूर्ण कलीसिया में प्रचलित हो गयी।
ईश्वर ने संत मार्गरेट को एक महान दौत्य के लिए चुना था; अर्थात मानवजाति के प्रति येसु के असीम, अद्भुत प्रेम तथा कृपाओं की अपार निधि को प्रकट करना। किन्तु साथ ही उसे अपनी बाल्यावस्था से लेकर अंत तक भारी दुःख व अपमानो का सामना करना पड़ा जिसे उन्होंने प्रभु येसु के हाथों से बड़ी तत्परता से ग्रहण किया और स्वयं को येसु के साथ जीवित बलि के रूप में ईश्वर को अर्पित किया। उन्होंने कहा- "मैं एक जीवित मोमबत्ती की तरह निरंतर ईश्वरीय प्रेम से जलते रहना चाहती हूँ; ताकि प्रभु येसु को उनके अपार प्रेम के बदले प्रेम दे सकूँ।"
17 अक्टूबर 1690 को मार्गरेट का देहांत हुआ। सन 1920 में उन्हें संत घोषित किया गया। येसु के पवित्रतम हृदय की भक्ति के सात-साथ उनकी इस प्रिय शिष्या का नाम भी कलीसिया में प्रचलित हो गया। माता कलीसिया 16 अक्टूबर को संत मार्गरेट मरियम अलाकोक का पर्व मनाती है।

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