संस्था के सदस्यों तथा अन्य लोगों की ओर से उन्हें घोर विरोधों का सामना करना पड़ा। किन्तु इक्कीस अथक परिश्रम, तपस्या एवं प्रार्थना के फलस्वरूप महिलाओं के लिए सत्रह एवं पुरुषों के लिए पंद्रह नवीकृत मठों की स्थापना करने में वे सफल हो गयी तथा उनके लिए संस्था के नियमों को प्रारम्भिक रूप से लागू कर सकी।
ईश्वर से प्राप्त सभी आध्यात्मिक वरदानों का विवरण संत तेरेसा ने अपने आत्मिक संचालकों के आदेशानुसार तीन पुस्तकों के रूप में लिखा है "आंतरिक दुर्ग", "सिद्ध-मार्ग", एवं "आत्मकथा" । इस प्रकार निरंतर अथक परिश्रम करते-करते उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और सन 1582 में 67 वर्ष की अवस्था में उनका देहांत हो गया।
संत ग्रेगरी पन्द्रहवें ने सन 1662 में उन्हें संत घोषित किया और सन 1970 में उन्हें कलीसिया में धर्माचार्या की उपाधि से विभूषित किया गया। माता कलीसिया 15 अक्टूबर को संत अविला की संत तेरेसा का पर्व मनाती है।

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