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पोप ने पोलिश तीर्थयात्रियों को एकता व करुणा बनाये रखने का प्रोत्साहन दिया
पोप फ्राँसिस ने 28 अप्रैल को पोलैंड के लूज़ महाधर्मप्रांत के 2000 तीर्थयात्रियों से वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में मुलाकात की तथा कहा कि उनकी तीर्थयात्रा एक साक्ष्य है। यह कलीसिया के प्रति उनके विश्वास और प्रेम का चिन्ह है।
लूज़ महाधर्मप्रांत की स्थापना 1920 में संत पापा बेनेडिक्ट 15वें ने की थी। पोलैंड का यह धर्मप्रांत ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता एवं उदार कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है।
सौ साल पुराने लूज़ धर्मप्रांत के तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हुए पोप ने कहा, "यह आपकी आध्यात्मिक गहराई एवं पोप के प्रति प्रेम का सुन्दर प्रदर्शन है जिनको प्रभु ने अपनी असीम करुणा से आज संत पेत्रुस की प्रेरिताई को सौंप दिया है।" पोप ने पोप से मुलाकात करने की उनकी चाह एवं पोप की धर्मशिक्षा के प्रति उनके खुलेपन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया तथा उनकी प्रार्थनाओं के लिए आभार प्रकट किया।
पोप ने उन्हें संबोधित करते हुए धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की याद की, इसकी विषयवस्तु है, "एक सिनॉडल कलीसिया के लिए ˸ सहभागिता, भागीदारी और मिशन।" जिसका पहला चरण जो धर्मप्रांतीय स्तर पर है समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे आशा है कि आपने न केवल इस धर्मसभा के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध किया है, बल्कि पहले ही इसके अनुभव का स्वाद चख लिया है, कलीसियाई सहभागिता की सुंदरता को पुनः खोज लिया है, एक साथ विश्वास को जीने का, एक-दूसरे के लिए पारस्परिक जिम्मेदारी संभालने का, दूसरों के साथ साझा करने का, यहाँ तक कि उन लोगों के साथ भी जो हमसे दूर दिखाई पड़ते या अलग तरह से सोचते हैं।" पोप ने कहा कि तीर्थयात्रा भी सिनॉडल कलीसिया की एक सुन्दर छवि है जो प्रेरितों के रास्ते पर, विभिन्न पल्लियों, समुदायों एवं कलीसियाई दलों के साथ, भाई-बहनों के परिवार के समान एक साथ चलती है।
उन्होंने धर्माध्यक्ष विंसेंटी टिमिनिकी की ख्रीस्तीय एकता हेतु संवेदनशीलता का स्मरण किया जिन्होंने ख्रीस्तीय एकता की रक्षा हेतु तीर्थयात्रा का प्रोत्साहन दिया।
उन्होंने विभिन्न कलीसियाओं के स्थानीय धर्मगुरूओं का अभिवादन किया जिन्होंने तीर्थयात्रा में भाग लिया है, और उनसे कहा कि विविधता में उनकी एकता सिनॉडालिटी का चिन्ह है, यह निश्चय ही एक सिनॉडालिटी है।" संत पापा ने उन्हें एकता के रास्ते पर आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया।
पोप ने धर्माध्यक्ष टिमिनिकी की महत्वपूर्ण विरासत उनकी धर्माध्यक्षीय प्रेरिताई को भी याद किया ˸ करुणा की प्रेरिताई जो लूज़ कलीसिया का डीएनए है।
इस बात पर गौर करते हुए कि करुणा आज एक महान सपना एवं रचनात्मकता है, उन्होंने महाधर्मप्रांत द्वारा किये जा रहे उदारता के कार्यों की सराहना की, जिसमें व्यक्तिगत स्तर से लेकर बीमार, बुजूर्ग, बेरोजगार, बेघर, विस्थापित, गरीब, पीड़ित, हाशिये पर जीवन यापन करनेवाले लोगों एवं घर तथा परिवार की जरूरतवाले बच्चों की मदद की जाती है।
पोप ने कहा, "इस तरह कलीसिया सुसमाचार प्रचार के सबसे अच्छे चेहरे को प्रकट करती है, वह है भले समारी का। जो उदासीन होना, न चाहता और न जानता है।"
धर्माध्यक्ष तिमिनिकी करुणा के साहस एवं ख्रीस्तीय एकता के साहस को एक साथ जोड़ना जानते थे। उन्होंने ख्रीस्तीय एकता का रास्ता, बहुत पहले काथलिक कलीसिया द्वारा आधिकारिक रूप से अपनाये जाने से पहले अपना लिया था।
अतः उन्होंने लूज़ के महाधर्माध्यक्ष का आह्वान किया कि वे अपने पहले चरवाहे के साहस को जीवित रखें तथा भाईचारा का साक्ष्य देते रहें।
पोप ने अंत में शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि जयन्ती समारोह लूज़ की कलीसिया को सुसमाचार प्रचार में सुदृढ़ एवं नवीकृत बनाये।
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