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नाबालिगों के संरक्षण हेतु परमधर्मपीठीय आयोग के सदस्यों से
वाटिकन में शुक्रवार को पोप फ्राँसिस ने नाबालिगों के संरक्षण हेतु गठित परमधर्मपीठीय आयोग के सदस्यों से मुलाकात कर उन्हें अपना सन्देश दिया। इस अवसर पर उन्होंने इस तथ्य पर बल दिया कि नाबालिगों की रक्षा करना एक कठिन मिशन है जिसे ध्यानपूर्वक और सावधानी के साथ पूरा किया जाना चाहिये।
नाबालिगों के संरक्षण हेतु गठित परमधर्मपीठीय आयोग के अध्यक्ष कार्डिनल ओमाली के प्रति पोप फ्राँसिस ने आभार व्यक्त किया और कहा कि कलीसिया के प्रयासों के फलस्वरूप आज कई नाबालिग एवं कमज़ोर लोग सुरक्षित हैं, जो कलीसिया के लिये सन्तोष का विषय है।
परमधर्मपीठीय आयोग के सदस्यों को सम्बोधित शब्दों में पोप ने कहा, "आपके सिपुर्द की गई सेवा को सावधानी से किया जाना अनिवार्य है। इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि कलीसिया नाबालिगों के लिए न केवल एक सुरक्षित स्थान और उपचार की जगह हो, बल्कि दुनिया भर में नाबालिगों के अधिकारों को बढ़ावा देने में पूरी तरह से भरोसेमंद साबित हो।"
पोप ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि कई ऐसी स्थितियां बनी हुई हैं जहां बच्चों की गरिमा को ख़तरा है, जो सभी विश्वासियों और शुभचिन्तकों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। उन्होंने कहा, "कभी-कभी, दुर्व्यवहार और दुराचार की वास्तविकता और "नाबालिगों" के जीवन पर इसके विनाशकारी और स्थायी प्रभाव उन लोगों के प्रयासों पर हावी हो जाते हैं जो प्रेम और समझदारी के साथ इसका प्रत्युत्तर देने का प्रयास करते हैं।"
पोप ने कहा, "उपचार का मार्ग लंबा और कठिन है; इसके लिए सुदृढ़ आशा और येसु मसीह में आशा की आवश्यकता है जिन्होंने क्रूस पर और यहां तक कि क्रूस से परे भी आशा का परित्याग नहीं किया था।" उन्होंने कहा कि पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त हमारी आशा हैं तथा उनके शरीर पर लगे घाव हमसे अनवरत यह कहते रहते हैं कि ईश्वर कठिनाइयों से डरने नहीं अपितु कठिनाइयों को पार करने की हमें क्षमता प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा पवित्रआत्मा की चंगाई शक्ति हमें निराश नहीं करती तथा नवजीवन हेतु ईश्वर की प्रतिज्ञा कभी विफल नहीं होती, किन्तु इसके लिये मज़बूत विश्वास की आवश्यकता है।
पोप ने कहा कि किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार अस्वीकार्य है। विशेष रूप से, बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार जीवन के विरुद्ध पाप है क्योंकि यह फूल के खिलने से पहले ही उसपर प्रहार करता है। फलने-फूलने के बजाय, यह दुराचार का शिकार बनाये गये नाबालिग को स्थायी और गंभीर रूप से घायल कर देता है।
पोप ने बताया कि हाल में उन्हें एक पिता का एक पत्र मिला, जिसके बेटे के साथ दुर्व्यवहार किया गया था और जिसके परिणामस्वरूप कई वर्षों तक बेटा अपना कमरा भी नहीं छोड़ सका था, उस पर और उसके सारे परिवार पर दुर्व्यवहार का प्रभाव इतना गहरा पड़ा था। पोप ने कहा कि जिन लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है, वे कभी-कभी स्वतः को जीवन और मृत्यु के बीच लगभग फंसा हुआ महसूस करते हैं, ये एक दर्दनाक हकीकत है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
नाबालिगों के प्रति कलीसिया के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए पोप ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व में बच्चों के अधिकारों के लिये काम करने के अतिरिक्त नाबालिगों के संरक्षण हेतु गठित परमधर्मपीठीय आयोग को यह कार्य सौंपा गया है कि वह दुराचारी पुरोहितों का पता लगाये तथा दुराचार के शिकार बने बच्चों के उपचार एवं पुनर्वास का प्रयास करे। उन्होंने कहा, "यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप इस मिशन के दायरे का विस्तार इस तरह से करें कि जिन लोगों ने दुर्व्यवहार का अनुभव किया है उनकी सुरक्षा और देखभाल कलीसियाई जीवन के हर क्षेत्र में आदर्श बन सके।"
पोप ने कहा की यह ज़िम्मेदारी इस अवधारणा पर आधारित है कि प्रत्येक मानव व्यक्ति की आंतरिक गरिमा बरकरार रहे, विशेष रूप से, सबसे कमज़ोर लोगों की तब ही सार्वभौमिक कलीसिया और धर्मप्रान्तीय कलीसियाओं के स्तर पर किए गए प्रयास सुरक्षा, उपचार और न्याय की योजना को लागू कर पायेंगे तथा नाबालिगों की सुरक्षा का आश्वासन देने में समर्थ सिद्ध होंगे।
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