Radio Veritas Asia Buick St., Fairview Park, Queszon City, Metro Manila. 1106 Philippines | + 632 9390011-15 | +6329390011-15
देवदूत प्रार्थना में पोप : येसु के पीछे चलने हेतु बाकी सब कुछ छोड़ देना
रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व पोप ने विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे उन चीजों का त्याग करे जो उन्हें प्रभु का अनुसरण करने से रोकता है तथा उनके साथ रहें।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 22 जनवरी को पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
आज की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ (मती. 4:12-23) प्रथम शिष्यों के बुलावे की कहानी प्रस्तुत करता है, जो गलीलिया झील के किनारे सब कुछ छोड़कर येसु के पीछे हो लिये। योहन बपतिस्ता के कारण येसु उनमें से कुछ से पहले ही मिल चुके थे और ईश्वर ने उनमें विश्वास का बीज बो दिया था। अतः वे अब वापस लौटते हैं, और देखते हैं कि वे कहाँ रहते एवं क्या काम करते हैं। इस बार येसु सीधे उन्हें बुलाते हैं : “मेरे पीछे चले आओ।”(मती.4:19) और “तुरन्त वे अपना जाल छोड़कर उनके पीछे हो लिये।”(20)
पोप ने इस दृश्य पर चिंतन करते हुए कहा, “यह येसु के साथ एक निर्णायक मुलाकात का समय था, जिसको वे अपने पूरे जीवन में याद करेंगे और जिसको सुसमचार में शामिल किया जाएगा। उसी समय से वे येसु का अनुसरण करते हैं। और उनका अनुसरण करने के लिए सब कुछ छोड़ देते हैं।”
पोप ने कहा, “येसु के साथ मुलाकात में हमेशा ऐसा ही होता है। इसकी शुरूआत किसी आकर्षक दृश्य से शुरू होती है, शायद दूसरों के कारण। उसके बाद चेतना अधिक व्यक्तिगत हो जाती है और हृदय में एक ज्योति जलाती है। यह बांटने के लिए एक सुन्दर चीज बन जाती है, “तुम्हें पता है, सुसमाचार के उस अंश ने मुझे प्रभावित किया…।” “उस सेवा के अवसर ने मुझे प्रेरित किया…।” पहले शिष्यों के साथ यही हुआ।
पोप ने कहा, “लेकिन कभी न कभी एक ऐसा समय आता है जब उनके पीछे चलने के लिए छोड़ना पड़ता है। निर्णय लेना पड़ता है : क्या मैं कुछ निश्चितताओं को पीछे छोड़ सकता हूँ और नये साहस की आवश्यकता होती है अथवा क्या मैं वहीँ रहूँ जहाँ हूँ? यह सभी ख्रीस्तियों के लिए एक निर्णायक समय है क्योंकि यहाँ हर चीज का अर्थ दाँव पर है। यदि कोई यात्रा शुरू करने का साहस नहीं कर पाता, तब वह अपने ही अस्तित्व का दर्शक बनकर रह जाता है और विश्वास को सिर्फ आधे रास्ते तक ही जी पाता है।
इस तरह येसु के साथ रहने के लिए छोड़ने का साहस जरूरी है। किस चीज को छोड़ना है? पोप ने कहा, “हमारी त्रुटियों और पापा को छोड़ना है, जो लंगर के समान हमें तट से बांटकर रखता एवं खेने नहीं देता है। लेकिन यह भी जरूरी है कि हम उन चीजों को छोड़ें जो हमें पूर्णता से जीने नहीं देते, जैसे भय, स्वार्थी गिनती, गारंटी जो सुरक्षित रहने, सिर्फ काम करते रहने से आती है। इसका अर्थ यह भी है कि व्यर्थ की चीजों को छोड़ देना।”
पोप ने कहा कि यह अनुभव करने के लिए सब कुछ छोड़ना कितना सुंदर होगा, उदाहरण के लिए, सेवा के थकाऊ किन्तु पुरस्कृत जोखिम को उठाना या प्रार्थना के लिए समय समर्पित करना ताकि प्रभु के साथ मित्रता में वृद्धि हो सके।
पोप ने परिवार का उदाहरण देते हुए कहा, “मैं एक युवा परिवार के बारे सोच रहा हूँ जो अपने पीछे एक शांत जीवन को छोड़ देता है और अपने आपको अदृश्य एवं मातृत्व और पितृत्व के सुन्दर साहस के लिए खोलता है। पोप ने कहा कि यह एक त्याग है क्योंकि यह पूरी तरह एक बच्चे पर ध्यान देने की मांग करता है, जिसके लिए अपनी गति एवं आराम का त्याग करने का चुनाव करना पड़ता है।
पोप ने उन पेशों की याद की जिनके लिए त्याग की जरूरत होती है, उदाहरण के लिए, एक डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी को लें जो अपना काफी समय अध्ययन और अपने आपको तैयार करने में लगाता है, और जो भला काम करता, मरीज के लिए दिन-रात समर्पित होता और उनके लिए बहुत अधिक शारीरिक एवं मानसिक शक्ति खर्च करता है। संक्षेप में, जीवन जीने के लिए हमें त्यागने की चुनौतियों को स्वीकार करना है। येसु आज हम सभी को निमंत्रण देते हैं कि हम भी ऐसा ही करें।
पोप ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, “अतः मैं आपको एक सवाल के साथ छोड़ता हूँ...क्या मैं एक “प्रबल क्षण” की याद करता हूँ जिसमें मैंने येसु से मुलाकात की? और क्या कुछ खूबसूरत और महत्वपूर्ण घटना मेरे जीवन में हुई है जब मैंने कम मह्त्व की चीजों को छोड़ दिया है? क्या आज मुझे येसु कुछ छोड़ने के लिए कह रहे हैं? क्या भौतिक चीजें हैं, सोचने के तरीके हैं, मनोभाव हैं जिन्हें मुझे “हाँ” कहने के लिए छोड़ना है?
तब पोप ने माता मरियम से प्रार्थना करते हुए कहा, “कुँवारी मरियम हमें ईश्वर को पूर्ण रूप से हाँ करने में मदद करे, जैसा कि स्वयं उन्होंने किया ताकि हम किस चीज को छोड़ना है उसे जान सकें, इस प्रकार हम उनका अच्छी तरह अनुसरण कर सकेंगे।
इतना कहने के बाद पोप ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
Add new comment