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देवदूत प्रार्थना में पोप ने कहा : ईश वचन के द्वारा परिवर्तित हों
रविवार को ईश वचन रविवार के अवसर पर पोप फ्राँसिस ने विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा विभिन्न जगहों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने हर दिन सुसमाचार का पाठ करने तथा उसे प्रेरित एवं परिवर्तित होने का प्रोत्साहन दिया।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 23 जनवरी को ईश वचन रविवार के अवसर पर, पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
आज की धर्मविधि के सुसमाचार पाठ (लूक.4,14-21) में हम येसु को देखते हैं जो अपना उपदेश शुरू करते हैं। वे नाजरेथ जाते हैं, जहाँ बड़े हुए और सभागृह में एक प्रार्थनासभा में भाग लेते हैं। वे पढ़ने के लिए उठ खड़े होते हैं और नबी इसायस की पुस्तक में उस परिच्छेद को खोलते हैं जहाँ मसीह के संबंध में लिखा है कि वे गरीबों एवं पीड़ितों के लिए सांत्वना एवं मुक्ति के संदेश की घोषणा करनेवाले हैं। पाठ के अंत में सभी लोगों की आँखें उनपर टिकी रहती है।(पद.20)
येसु यह कहते हुए शुरू करते हैं, "धर्मग्रंथ का यह पाठ आज आप लोगों के सामने पूरा हो गया है।" संत पापा ने कहा, "हम इसपर थोड़ी देर चिंतन करें। यह संत लूकस रचित सुसमाचार में येसु के उपदेश का पहला शब्द है। प्रभु द्वारा उच्चरित यह "आज" हर युग के लिए अर्थपूर्ण है। नबी इसायस ने सदियों पहले भविष्यवाणी की थी किन्तु येसु पवित्र आत्मा की शक्ति से इसे प्रासंगिक बनाते हैं और सबसे बढ़कर वे इसे पूरा करते हैं।"
यद्यपि येसु के गाँव के आसपास के लोग उनके शब्दों से ठोकर खाते हैं। पूर्वाग्रह से भरे होने के कारण वे उनपर विश्वास नहीं कर पाते हैं, वे महसूस करते हैं कि उनकी शिक्षा दूसरे गुरूओं से अलग है (22) उन्हें लगता है कि येसु में कुछ खास है। उनमें क्या खास है? उनमें पवित्र आत्मा का अभिषेक है। कभी-कभी ऐसा होता है कि हमारी शिक्षा और हमारे उपदेश सामान्य और अस्पष्ट रह जाते हैं। क्यों? क्योंकि उनमें "आज" की शक्ति की कमी होती है जिसमें येसु पवित्र आत्मा की शक्ति से अर्थ प्रदान करते हैं। संत पापा ने कहा कि आप उत्तम व्याख्यान, अच्छा भाषण सुनते, फिर भी हृदय परिवर्तित नहीं होता और इस तरह सब कुछ पहले के समान रह जाता है। उपदेश में यही खतरा होता है : पवित्र आत्मा के अभिषेक के बिना ईश वचन शक्तिहीन हो जाता है। यह नौतिकतावाद और अमूर्त धारणा मात्र रह जाता है जो सुसमाचार को अलग प्रस्तुत करता, मानो कि इसका समय समाप्त हो चुका हो और वास्तविकता से दूर हो। लेकिन एक शब्द जिसमें आज की शक्ति नहीं धड़कता, वह येसु के योग्य नहीं है और लोगों के जीवन को मदद नहीं करता। यही कारण है कि जो उपदेश देता है उसे येसु के आज का अनुभव होना चाहिए ताकि वह दूसरों के आज में उसे बतला सके।
पोप ने सभी प्रचारकों एवं सुसमाचार के संदेशवाहकों को धन्यवाद देते हुए कहा, "प्यारे भाइयो एवं बहनो, ईश वचन के इस रविवार को मैं सभी प्रचारकों एवं सुसमाचार के संदेशवाहकों को धन्यवाद देता हूँ। आइये हम उनके लिए प्रार्थना करें जिससे कि वे येसु के आज को जी सकें। उनकी आत्मा की शक्ति को, जो ईश वचन को सजीव बनाता है। ईश वचन वास्तव में जीवित और सक्रिय है। (इब्रा.4,12) यह हमें बदल देता है, हमारे कामों में प्रवेश करता, हमारे दैनिक जीवन को आलोकित करता, सांत्वना देता एवं सुव्यवस्थित करता है। संत पापा ने कहा, "हम याद रखें, ईश वचन किसी भी दिन को आज में बदल सकता है जिसमें ईश्वर हमसे बोलते हैं। अतः हम सुसमाचार को अपने हाथ में लें, हर दिन एक छोटा पाठ पढ़ें। तब धीरे- धीरे हम महसूस करेंगे कि वे शब्द विशेष रूप से हमारे लिए हैं।" वे हमें हर दिन को अधिक अच्छे एवं शांत भाव से स्वीकार करने में मदद देंगे। क्योंकि जब सुसमाचार आज में प्रवेश करता है तब यह ईश्वरमय हो जाता है। संत पापा ने विश्वासियों के सामने एक प्रस्ताव रखते हुए कहा कि इस पूजन पद्धति वर्ष में, संत लूकस रचित सुसमाचार, करुणा के सुसमाचार की घोषणा है। क्यों न हम इसे व्यक्तिगत रूप से पढ़ें, हर दिन एक छोटा पाठ पढ़ते हुए? आइये हम सुसमाचार को जानें, यह हममें नयापन लायेगा और हमें ईश्वर का आनन्द प्रदान करेगा।
ईश वचन एक प्रकाशस्तम्भ के समान है जो सिनॉडल रास्ते को आलोकित करता है जिसकी शुरूआत पूरी कलीसिया में की गई है। जब हम एक-दूसरे को ध्यान और आत्मपरख के साथ सुनने की कोशिश कर रहे हैं, तब हम एक साथ ईश वचन और पवित्र आत्मा को सुनें। माता मरियम हमारी माता हमें हर दिन सुसमाचार से पोषित होने में मदद दे।
इतना कहने के बाद पोप ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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