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आसान जवाब के विरुद्ध चेतावनी महाधर्माध्यक्ष ईरोनीमुस से मुलाकात
आथेन्स में शनिवार को पोप फ्राँसिस ने चेतावनी दी कि यूरोप में लोकलुभावनवाद और अधिनायकवाद के "आसान उत्तर" लोकतंत्र के लिए एक महान ख़तरा हैं तथा संकीर्ण, राष्ट्रवादी हितों के बजाय सामान्य जनकल्याण को बढ़ावा देने हेतु नवीकृत समर्पण का आह्वान किया।
आथेन्स में शनिवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने चेतावनी दी कि यूरोप में लोकलुभावनवाद और अधिनायकवाद के "आसान उत्तर" लोकतंत्र के लिए एक महान ख़तरा हैं तथा संकीर्ण, राष्ट्रवादी हितों के बजाय सामान्य जनकल्याण को बढ़ावा देने हेतु नवीकृत समर्पण का आह्वान किया। काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु इस समय साईप्रस तथा ग्रीस की पाँच दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। इटली से बाहर यह पोप फ्राँसिस की 35 वीं प्रेरितिक यात्रा है।
शनिवार को लोकतंत्र के जन्मस्थान ग्रीस में ग्रीक राजनीतिज्ञों, नागर समाज के प्रतिनिधियों तथा राजनयिक कोर के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए पोप फ्राँसिस ने यूरोपीय महाद्वीप के समक्ष प्रस्तुत ख़तरों के प्रति चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा से लेकर महामारी और गरीबी के विरुद्ध संघर्ष तक, केवल मजबूत बहुपक्षवाद ही आज के महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित कर सकता है। पोप फ्राँसिस ने कहा, "राजनीति को इसकी सख्त जरूरत है, ताकि आम जरूरतों को निजी हितों से आगे रखा जा सके।"
साइप्रस और ग्रीस की अपनी पांच दिवसीय यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए, पोप फ्राँसिस ने याद किया कि विख्यात दार्शनिक अरस्तू के अनुसार, ग्रीस में ही, मानव व्यक्ति एक "राजनैतिक पशु" और साथी नागरिकों के एक समुदाय का सदस्य होने के प्रति जागरूक हुआ था। अस्तु, उन्होंने कहा, "यहीं, यूरोप में लोकतंत्र का जन्म हुआ था।" उन्होंने कहा कि हज़ारों साल बाद इसे लोकतांत्रिक लोगों का एक महान घर बनना था, हालांकि आर्थिक उथल-पुथल और महामारी के अन्य व्यवधानों के बीच यह सपना खतरे में है, जो राष्ट्रवादी भावनाओं को जन्म दे सकता है और ऐसी स्थिति में सत्ताधारियों को "सम्मोहक और लोकलुभावनवाद के आसान जवाब आकर्षक लग सकते हैं।" इसके विपरीत उन्होंने कहा कि इसका उपाय लोकप्रियता की जुनूनी खोज में, दृश्यता की प्यास में और अवास्तविक वादों की झड़ी में नहीं है, बल्कि अच्छी राजनीति में है।
शनिवार अपरान्ह आथेन्स के महाधर्माध्यक्षीय निवास में पोप फ्राँसिस ने ग्रीक ऑरथोडोक्स कलीसिया के धर्माधिपति महाधर्माध्यक्ष ईरोनीमुस से मुलाकात की। सन् 2001 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय, लगभग 1200 वर्षों के बाद पहले काथलिक परमाध्यक्ष थे जिन्होंने ग्रीस की यात्रा की थी तथा ग्रीक ऑरथोडोक्स कलीसिया के प्रति मैत्री का हाथ बढ़ाया था। अति विनम्रता का पाठ पढ़ाते हुए इस अवसर पर सन्त जॉन पौल ने सदियों के अन्तराल में ऑरथोडोक्स कलीसिया के विरुद्ध काथलिकों द्वारा "कार्रवाई या चूक से" हुए पापों की क्षमा याचना की थी। अब बीस वर्षों बाद सन्त पापा फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा काथलिक-ऑरथोडोक्स कलीसिया के बीच ख्रीस्तीय धर्म को विभाजित करनेवाले महान विवाद के दुखद घाव के उपचार और सुधार का प्रयास कर रही है।
रोम तथा कॉन्सटेनटीनोपेल की कलीसियाएं 1054 ई. में धर्मतत्व विज्ञान के कुछेक प्रश्नों जैसे पवित्र आत्मा की प्रकृति पर अलग-अलग हो गई थीं। इसी विवाद से पश्चिम में रोमी काथलिक कलीसिया तथा पूर्व में पूर्वी रीति की ऑरथोडोक्स कलीसियाएँ अस्तित्व में आई थीं।
सम्पूर्ण ग्रीस के ऑरथोडोक्स धर्माधिपति महाधर्माध्यक्ष ईरोनीमुस ने पोप फ्राँसिस से कहा कि वे आप्रवास संकट तथा जलवायु परिवर्तन जैसे गम्भीर वैश्विक चुनौतियों का सामना करने हेतु काथलिकों एवं ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों के बीच सम्बन्धों को मज़बूत करने के पोप फ्राँसिस के दृष्टिकोण को साझा करते हैं। विश्व समुदाय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन से उन्होंने साहसिक निर्णय लेने का आह्वान किया ताकि तथा कमजोर शरणार्थी महिलाओं और बच्चों को ख़तरनाक परिस्थितियों में जीने के लिये बाध्य न होना पड़े। आथेन्स के महाधर्माध्यक्षीय निवास में पोप फ्राँसिस के साथ सौहार्द्रपूर्ण मुलाकात के अवसर पर महाधर्माध्यक्ष ईरोनीमुस ने कहा, "हमें मिलकर पृथ्वी के शक्तिशाली लोगों की अकर्मण्यता के खिलाफ चट्टानों और दीवारों को हिलाना होगा।"
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