अपने मिशन में ईश्वर को सुनें, करुणा की कुंवारी मरियम ऑर्डर से पोप 

पोप फ्राँसिस ने करुणा की धन्य कुंवारी मरियम को समर्पित धर्मसंघ की महासभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की जो अपने धर्मसंघ की महासभा में भाग ले रहे हैं।
पोप  फ्राँसिस ने शनिवार, 7 मई को करुणा की धन्य कुंवारी मरियम को समर्पित धर्मसंघ की महासभा के प्रतिभागियों को सम्बोधित किया तथा उन्हें सुनने की सलाह दी।
करुणा की धन्य कुंवारी मरियम को समर्पित धर्मसंघ की महासभा की विषयवस्तु है, "वह तुम लोगों से जो कहें वही करना।" (यो.2,5)  
पोप ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण चुनाव है क्योंकि इसमें उस परियोजना पर विचार करना शामिल है जिसे वे सेवा के दृष्टिकोण से लागू करनेवाले हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सेवा बिना या क्रूस रहित सेवा के द्वारा उनका अनुसरण नहीं किया जा सकता। (यो.12:26)
पोप ने महासभा के प्रतिभागियों को सुनने की सलाह देते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थिति को सुसमाचार में वर्णित काना के विवाह भोज से किया जा सकता है। "उनके पास अंगुरी नहीं रह गई थी।" आज हम दुनिया में, कलीसिया में कई परिस्थितियों को देखते हुए, आशा, प्रेरणा और समाधान की कमी महसूस करते हैं। ऐसी परिस्थिति में माता मरियम हमें चुनौती देते हुए कह रही हैं, सुनो! पर हम क्या सुनें? क्या उन आवाजों को सुनें जो हर प्रकार की नकारात्मक चीजों के बारे बतलाते हैं? हमें आसान समाधान, ज्ञान से भरे जटिल कार्यक्रम, या समझौतापूर्ण समाधान प्रदान करते हैं?  
पोप ने कहा कि कुँवारी मरियम आज कुछ नई चीज बतला रही हैं। येसु उनके हृदय को एक नये, वास्तविक और अनपेक्षित रूप में चुनौती दे रहे हैं। शायद काना के सेवकों ने एक साथ मिलकर विचार किया होगा कि क्या किया जाए। हो सकता है कि वहाँ बहुत सारी आवाजें रही होंगी, कोई अपनी समस्या बता रहा होगा, कोई समाधान और कोई स्थिति का सामना करने में अपनी अक्षमता को स्वीकार करते हुए, ईमानदारी से मेहमानों को विदा करने की सलाह दे रहा होगा। किन्तु येसु उन सवालों का उत्तर नहीं देते बल्कि एक ऐसी चीज का प्रस्ताव करते हैं जिसकी शायद ही किसी सेवक ने कल्पना की थी होगी। शुद्धिकरण के लिए रखे गये मटकों को पानी से लबालब भर देना। संत पापा ने कहा कि यहाँ गौर करनेवाली बात यह है कि येसु उनकी अपेक्षा के अनुसार नहीं बल्कि एक नई चीज को करने के लिए कहते हैं जिसकी उन्होंने कभी उम्मीद नहीं की होगी। पोप ने महासभा के प्रतिभागियों से कहा कि वे सबसे  पहले ईश्वर को सुनें जो, भाई-बहनों एवं परिस्थितियों के माध्यम से बोलते हैं।
दूसरी ओर शुद्धिकरण के मटके जिनका प्रयोग विवाह भोज के शुरू में शुद्धिकरण के लिया किया गया था, हमें प्रथम प्रेम, स्रोत की ओर लौटने का संकेत देते हैं ताकि हम हमारे समर्पित जीवन के पहले वर्ष के निर्दोष एवं आशामय मनोभाव को पुनः प्राप्त कर सकें। वे हमें अपने प्रयासों के फल पाने की आशा नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से देखने, जरूरतों को देख पाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मटके जो खाली थे उन्हें पहले के समान पुनः उत्साह रूपी जल से भरा जाना है। मटकों को खाली देखते हुए भी उसे नहीं भरा गया था क्योंकि ऐसा करना लोगों के लिए व्यर्थ था।
पोप ने कहा कि प्रभु हमें हर दिन, हर योजना में पुनः शुरूआत करने के लिए कहते हैं, अतः "हम न थकें, हताश न हों"।
पोप ने प्रतिभागियों को प्रेरिताई में धैर्यशील बने रहने की सलाह देते हुए कहा कि सुसमाचार में पेत्रुस रातभर मेहनत करने के बाद भी कुछ हासिल नहीं कर पाया। येसु के उत्तर के अभाव में हमें कई बार अपने कार्य व्यर्थ लग सकते हैं। संत पापा ने कहा कि हम भी येसु के आश्चर्य के लिए अपने आपको खुला रखें। सुसमाचार लेखक योहन स्पष्ट करते हैं कि विवाह भोज के मालिक को यह बात मालूम नहीं थी और वे विस्मित थे कि अच्छी अंगुरी कहाँ से आयी जबकि सेवक इसे जानते थे।
पोप ने कहा कि हमें कुँवारी मरियम को सुनना है, उस आवाज से नहीं डरना है जो मटकों को पुनः भरने के लिए कहती है। अपने आपको ठोस एवं सरल सेवा में अर्पित करने से पीछे नहीं हटना है जो भोज के प्रबंधक की नजरों में व्यर्थ योजना थी किन्तु उस कार्य को समझना महत्वपूर्ण है जो हमारा नहीं किन्तु ईश्वर का है।
पोप ने उन्हें मरियम के समान ख्रीस्त के साथ क्रूस के नीचे रहने, गरीबों के पीड़ित शरीर और कैदी लोगों के निकट रहने की सलाह दी।  

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