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इंग्लैंड की कलीसिया ने यहूदी विरोधी कानूनों के लिए माफी मांगी
ऑक्सफोर्ड की धर्मसभा की आठ सौवीं वर्षगांठ को रेखांकित करने के लिए एक विशेष ख्रीस्तयाग मनाया गया जिसका उद्देश्य था ख्रीस्तियों को यहूदी-विरोधी और सेमेटिक विरोधी विचारधारा के समकालीन रूपों को अस्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करना।
इंग्लैंड की कलीसिया ने यहूदी समुदाय से 800 साल पहले पारित कानूनों के लिए माफी मांगी है, जिसने इंग्लैंड से यहूदियों को निष्कासन किये जाने के लिए मजबूर किया।
ऑक्सफोर्ड की धर्मसभा की आठ सौवीं वर्षगांठ मनाने हेतु ख्रीस्त को समर्पित महागिरजाघर में रविवार को एक विशेष ख्रीस्तयाग समारोह अर्पित किया गया, जिसमें नागरिक अधिकारी एवं धर्मगुरूओं ने बी भाग लिया, जिनमें ब्रिटेन के प्रमुख रब्बी, एफ्राइम मिरविस और कैंटरबरी के महाधर्माध्यक्ष जस्टिन वेलबे शामिल थे।
ऑक्सफोर्ट के 1222 वें सिनॉड ने एक कानून पारित किया था जिसने यहूदियों एवं ख्रीस्तीयों के बीच सामाजिक संपर्क को मना कर दिया था, यहूदियों पर एक विशिष्ट दशमांश रखा गया था और उन्हें एक पहचान बैज पहनना था। यहूदियों को कुछ व्यवसायों और नए सभास्थलों के निर्माण से भी प्रतिबंधित कर दिया गया था।
1290 में राजा एडवर्ड प्रथम द्वारा एक आदेश पर यहूदियों के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों के कारण लगभग 3,000 यहूदियों को सामूहिक रूप से निष्कासित किया गया।
1656 में ओलिवर क्रॉमवेल द्वारा यहूदियों को इंग्लैंड में वापस किए जाने तक 360 से अधिक वर्ष बीत चुके थे।
हालांकि इंग्लैंड की कलीसिया का गठन केवल 1530 के दशक में हुआ था जब हेनरी आठवें पोप से अलग हो गये थे, इंग्लैंड की कलीसिया के धर्मगुरूओं ने माफी के महत्व पर जोर दिया है।
महाधर्माध्यक्ष वेलबे ने रविवार को ट्वीट के माध्यम से कहा, "आज का समारोह प्रायश्चित करने एवं पुनःमिलन करने का एक अवसर है, "आइए हम प्रार्थना करें कि यह आज के ख्रीस्तीयों को यहूदी-विरोध और सेमिटिज्म विरोध के समकालीन रूपों को अस्वीकार करने और हमारे यहूदी पड़ोसियों के उपहार की सराहना करने एवं प्राप्त करने के लिए प्रेरित करे।"
पिछला महीना ऑक्सफोर्ड धर्मप्रांत ने गौर किया था कि इसका इरादा "इस स्मरणोत्सव के लिए ऐसी समृद्ध क्षमता का एक मजबूत संकेत है, जो अंतरधार्मिक मुलाकात और सेवा की गहराई में परिलक्षित होती है जो ऑक्सफोर्ड और हमारे समाज में विस्तृत रूप में मौजूद है।"
ऑक्सफोर्ड के महा-उपयाजक जोनाथन काफरे ने कहा कि समय आ गया है, ख्रीस्तियों को अपने शर्मनाक कृत्य के लिए प्रायश्चित करने का और यहूदी समुदाय के साथ अपने संबंधों को "सकारात्मक रूप से सुधार करने का"।
रविवार का ख्रीस्तयाग हाल के वर्षों में यहूदी समुदाय के साथ सद्भावना पैदा करने के लिए अन्य चरणों के अनुरूप है। 2019 में, इंग्लैंड की कलीसिया द्वारा "ईश्वर के अचूक वचन" शीर्षक से प्रकाशित एक दस्तावेज ने ख्रीस्तीय-यहूदी संबंधों के महत्व पर प्रकाश डाला था और ख्रीस्तीयों से सक्रिय रूप से विरोधीवाद को चुनौती देने का आग्रह किया था।
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