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चालीसे का चौथा रविवार 19 March 2023 वर्ष A
प्रवेश गीत
ये पल है शुभ आज का, आते है हम तेरे द्वार पे,
मन में बसी है तेरी आस्था, हाथों में फूल है प्यार के,
तू हमें पाले, तू ही सम्भाले,
तेरी दया पाएँ सदा, आते हैं गाते हम,
तू अपनाएँ दिल सुख पाएँ,
तेरे भवन, तेरे चरण, शीश झुकाते हम।
जीवन अपना आपसे, पाया है हमने हे प्रभु,
आप पर कुरबान करे, दिल की है अब ये आरजू।
हम तो बस यही माँगते, जीवन अपना हो सफल
आपकी अआशिष से सुन्दर बने हर एक पल।
प्रवेश भजन
हे येरुसालेम और उसे प्यार करने वाले लोगो! आनंद मनाओ। तुम जो विलाप कर रहे थे, आनन्दित हो जाओ और उसकी गोद में बैठकर उसकी महिमा पर गर्व करो।
पु०: पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर। सब: आमेन।
पु०: हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त की कृपा, ईश्वर का प्रेम और पवित्र आत्मा का साहचर्य आप सबको प्राप्त हो।
अथवा
हमारे पिता ईश्वर और प्रभु येसु ख्रीस्त की कृपा और शांति आपलोगों के साथ हो।
अथवा
पु०: प्रभु आपलोगों के साथ हो। सब: और आपकी आत्मा के साथ।
पश्चाताप- विधि
आज के सुसमाचार में जिस दृष्टिहीन व्यक्ति का वर्णन है, वह एक अकेला इंसान नहीं है बल्कि वह हम सब हैं। फ़र्क केवल इतना ही है कि वह जानता है कि वह देख नहीं सकता। जब तक हम यह नहीं स्वीकार करते कि हम अन्धे हैं, हम अपनी नई आँखों से नहीं देख सकते। फ़रीसी यही कहते हैं कि अब कोई अन्धे नहीं हैं। प्रभु येसु संसार की ज्योति है। जो उनका अनुसरण करता है वे कभी अंधकार और पाप में नहीं भटकेगा। अंधापन हमारी दृष्टि या आँखों की स्थिति के बारे में नहीं है और न ही यह हमारे आसपास के अंधकार के बारे में है बल्कि यह हमारे अंदर के अंधकार के बारे में है। हम ईश्वर को, लोगों को और अपनी परिस्थितियों को उस तरह नहीं देखते जैसे वे हैं बल्कि जैसे हम हैं। जब तक ईश्वर हमारी आँखें नहीं खोल देता, हम जो भी देखेंगे वो हमारा ही सीमित नज़रिया होगा। हम पूर्णता की प्राप्ति ईश्वर के नज़रिये से ही प्राप्त कर सकते हैं।
पु०: भाइयो और बहनो, हम अपने पापों को स्वीकार करें, ताकि हम यह पवित्र बलि चढ़ाने के योग्य बन जाएँ।
सब: हे भाइयो-बहनो, मैं सर्वशक्तिमान् ईश्वर और आप लोगों के सामने स्वीकार करता हूँ कि मैंने मन, वचन और कर्म से तथा अपना कर्त्तव्य पूरा न करने से (सब लोग अपनी छाती पीटते हुए बोलते हैं) अपने कसूर से, अपने कसूर से, अपने भारी कसूर से घोर पाप किया है। इसलिए, मैं नित्य कुँवारी धन्य मरियम से, सब स्वर्गदूतों, संतों और आप लोगों से, हे भाइयो-बहनो, विनती करता हूँ कि आप लोग मेरे लिए प्रभु ईश्वर से प्रार्थना करें।
पु०: सर्वशक्तिमान् ईश्वर हम लोगों पर दया करे और हमारे पाप क्षमा कर हमें अनंत जीवन प्रदान करे।
सब: आमेन।
पापों से थक कर लाचार अब, आये हैं प्रभु तेरे द्वार -2
तुम दया के सागर हो -2 हम पर दया करना हे नाथ -2
कृपा के जीवन को पाने, आये हैं प्रभु तेरे द्वार -2
तुम कृपा के सागर हो -2 हम पर कृपा करना हे नाथ-2
शांति के जीवन को पाने, आये हैं प्रभु तेरे द्वार -2
शांति के तुम सागर हो -2 शांति हमें प्रदान करो -2
पु०: हे प्रभु दया कर। सब: हे प्रभु दया कर।
पु०: हे ख्रीस्त दया कर। सब: हे ख्रीस्त दया कर।
पु०: हे प्रभु दया कर। सब: हे प्रभु दया कर।
संगृहीत प्रार्थना (निवेदन)
हे ईश्वर, तू अपने अनादि शब्द द्वारा मानवजाति के साथ अद्भुत रीति से मेल-मिलाप करता है। खीस्तीय प्रजा ज्वलंत भक्ति और प्रबल विश्वास के साथ आगामी समारोहों को मनाने के लिए शीघ्रता से आगे बढ़े। हम यह प्रार्थना करते हैं, अपने प्रभु तेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के द्वारा, तेरे तथा पवित्र आत्मा के संग एक ईश्वर होकर युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
पहला पाठ
(दाऊद येस्से का सब से छोटा बेटा था। फिर भी ईश्वर ने उसे यहूदियों का राजा बनने के लिए चुन लिया, क्योंकि ईश्वर मनुष्य की तरह विचार नहीं करता। मनुष्य बाहरी रूप-रंग देखता है, किन्तु प्रभु हृदय देखता है।)
समूएल का पहला ग्रंथ 16: 1, 6-7, 10-13
“दाऊद को इस्राएल के राजा का अभिषेक दिया जाता है।”
प्रभु ने समूएल से कहा, “तुम सींग में तेल भर कर लाओ। मैं तुम्हें बेथलेहेम निवासी येस्से के यहाँ भेजता हूँ, क्योंकि मैंने उसके पुत्रों में से एक को राजा चुना है”। जब येस्से के पुत्र समूएल के सामने आये, तो समूएल एलिआब को देख कर यह सोचने लगा, कि निश्चय ही यही ईश्वर का अभिषिक्त है। परन्तु ईश्वर ने समूएल से कहा, "उसके रूप-रंग और लम्बे कद का ध्यान न रखो। मैं उसे नहीं चाहता। प्रभु मनुष्य की तरह विचार नहीं करता। मनुष्य तो बाहरी रूप-रंग देखता है, किन्तु प्रभु हृदय देखता है"। जब येस्से अपने सात पुत्रों को समूएल के सामने उपस्थित कर चुका, तो समूएल ने येस्से से कहा, “प्रभु ने उन में से किसी को नहीं चुना”। उसने येस्से से पूछा, “क्या तुम्हारे पुत्र इतने ही हैं?” येस्से ने उत्तर दिया, “सब से छोटा यहाँ नहीं है, वह भेड़ें चरा रहा है”। तब समूएल ने येस्से से कहा, "उसे बुला भेजो। जब तक वह न आये, हम भोजन पर नहीं बैठेंगे”।
इसलिए येस्से ने उसे बुला भेजा। लड़के का रंग गुलाबी, उसकी आँखें सुन्दर और उसका शरीर सुडौल था। ईश्वर ने समूएल से कहा, “उठो, इसी को अभिषेक दो। यह वही है”। समूएल ने तेल का सींग हाथ में ले लिया और उसके भाइयों के सामने ही उसका अभिषेक किया। ईश्वर का आत्मा दाऊद पर छा गया और उसी दिन से उसके साथ विद्यमान रहा।
यह प्रभु की वाणी है।
भजन स्तोत्र 22: 1-6
अनुवाक्य:- प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं।
1. प्रभु मेरा चरवाहा है। मुझे किसी बात की कमी नहीं। वह मुझे हरे मैदानों में चराता है। वह मुझे विश्राम के लिए जल के निकट ले जाता और मुझ में नवजीवन का संचार करता है।
2. वह अपने नाम का सच्चा है, वह मुझे धर्म-मार्ग पर ले चलता है। चाहे अँधेरी घाटी हो कर जाना ही क्यों न पड़े, मुझे किसी अनिष्ट की शंका नहीं; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है। तेरी लाठी, तेरे डण्डे पर मुझे भरोसा है।
3. तू मेरे शत्रुओं के देखते-देखते मेरे लिए खाने की मेज सजाता है। तू मेरे सिर पर तेल का विलेपन करता है। तू मेरा प्याला लबालब भर देता है।
4. इस प्रकार तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। प्रभु का मंदिर ही मेरा घर है। मैं उस में अनन्तकाल तक निवास करूँगा।
अंतर भजन
तेरे गीत गाऊँ, तेरे संग रहूँ मैं
पाऊँ मैं जीवन का आनंद तुझ में प्रभु।
तू ही मेरी मंज़िल प्रभु, तू है मेरा मार्ग।
तू ही मेरी ज्योति प्रभु, तू है मेरा मसीह।
तू ही मेरी शांति प्रभु, तू है मेरा नाथ।
दूसरा पाठ
(प्रभु का शिष्य बन जाने से हम अंधकार में से निकल कर ज्योति की सन्तान बन जाते हैं, इसलिए हमें भलाई तथा सच्चाई का फल उत्पन्न करना चाहिए।)
एफ्रेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 5: 8-14
“मृतकों में से जी उठो और मसीह तुम को आलोकित कर देंगे।”
आप लोग पहले 'अन्धकार' थे, अब प्रभु के शिष्य होने के नाते 'ज्योति' बन गये हैं। इसलिए ज्योति की सन्तान की तरह आचरण करें। जहाँ ज्योति है, वहाँ हर प्रकार की भलाई, धार्मिकता तथा सच्चाई उत्पन्न होती है। आप इसका पता लगाते रहें कि कौन-सी बातें प्रभु को प्रिय हैं। लोग अन्धकार में जो व्यर्थ के काम करते हैं, उन से आप दूर रहें और उनकी बुराई प्रकट करें। जो काम वे गुप्त रूप से करते हैं, उनकी चर्चा करने में भी लज्जा आती है। ज्योति इन सब बातों की बुराई प्रकट करती है और इनका वास्तविक रूप स्पष्ट कर देती है। ज्योति जो कुछ आलोकित करती है, वह स्वयं ज्योति बन जाता है। इसलिए कहा गया है नींद से जागो, मृतकों में से जी उठो और मसीह तुम को आलोकित कर देंगे।
यह प्रभु की वाणी है।
जयघोष
प्रभु कहते हैं- संसार की ज्योति मैं हूँ। जो मेरा अनुसरण करता है, उसे जीवन की ज्योति प्राप्त होगी।
सुसमाचार
(येसु ने कहा, “संसार की ज्योति मैं हूँ”। यहाँ वह एक जन्मांध मनुष्य को ज्योति प्रदान करते हैं, ताकि हम इस बात में दृढ़ विश्वास करें कि वह हमारी आत्मा को आध्यात्मिक ज्योति प्रदान कर सकते हैं।)
सन्त योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 9: 1-41
[कोष्ठक में रखा अंश छोड़ दिया जा सकता है]
“वह मनुष्य गया और नहा कर वहाँ से देखता हुआ लौटा।”
रास्ते में येसु ने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म से अंधा था।
[उनके शिष्यों ने उन से पूछा, “गुरुवर! किसने पाप किया था, इसने अथवा इसके माँ-बाप ने, जो यह मनुष्य जन्म से अंधा है?” येसु ने उत्तर दिया, “न तो इस मनुष्य ने पाप किया और न इसके माँ-बाप ने। वह इसलिए जन्म से अंधा है, कि इसे चंगा करने से ईश्वर का सामर्थ्य प्रकट हो जाये। जिसने मुझे भेजा है, हमें उसका कार्य दिन बीतने से पहले ही पूरा कर देना है। रात आ रही है, जब कोई भी काम नहीं कर सकता। मैं जब तक संसार में हूँ, तब तक संसार की ज्योति हूँ”।]
उन्होंने भूमि पर थूका, थूक से मिट्टी सानी और वह मिट्टी अंधे की आँखों पर लगा कर उस से कहा, “जाओ, सिलोआम के कुण्ड में नहा लो”। सिलोआम का अर्थ है 'प्रेषित'। वह मनुष्य गया और नहा कर वहाँ से देखता हुआ लौटा। उसके पड़ोसी और वे लोग, जो उसे पहले भीख माँगते देखा करते थे, बोले, “क्या यह वही नहीं है, जो बैठे हुए भीख माँगा करता था?” कुछ लोगों ने कहा, “हाँ, यह वही है”। कुछ ने कहा, “नहीं, यह उस जैसा और होगा”। उसी ने कहा, “मैं वही हूँ”।
[इस पर लोगों ने उस से पूछा, “तो, तुम कैसे देखने लगे?” उसने उत्तर दिया, “जो मनुष्य येसु कहलाते हैं, उन्होंने मिट्टी सानी और उसे मेरी आँखों पर लगा कर कहा- सिलोआम जाओ और नहा लो। मैं गया और नहाने के बाद देखने लगा”। उन्होंने उस से पूछा, “वह कहाँ है?” और उसने उत्तर दिया, “मैं नहीं जानता।”]
लोग उस मनुष्य को, जो पहले अंधा था, फरीसियों के पास ले गये। जिस दिन येसु ने मिट्टी सान कर उसकी आँखें अच्छी की थीं, वह विश्राम का दिन था। फरीसियों ने भी उस से पूछा कि वह कैसे देखने लगा। उसने उन से कहा, “उन्होंने मेरी आँखों पर मिट्टी लगा दी और मैं नहाने के बाद देखने लगा”। इस पर कुछ फरीसियों ने कहा, “वह मनुष्य ईश्वर के यहाँ से नहीं आया है; क्योंकि वह विश्राम दिवस के नियम का पालन नहीं करता”। कुछ लोगों ने कहा, “पापी मनुष्य ऐसे चमत्कार कैसे दिखा सकता है?” इस तरह उन में मतभेद हो गया। उन्होंने फिर अंधे से पूछा, “जिस मनुष्य ने तुम्हारी आँखें अच्छी कर दी हैं, उसके विषय में तुम क्या कहते हो?” उसने उत्तर दिया “वह नबी हैं”।
[यहूदियों को विश्वास नहीं हो रहा था कि वह अंधा था और अब देखने लगा है। इसलिए उन्होंने उसके माता-पिता को बुला भेजा और पूछा, “क्या यह तुम्हारा बेटा है, जिसके विषय में तुम यह कहते हो कि यह जन्म से अंधा था? तो फिर यह केसे देखने लगा है?” उसके माता-पिता ने उत्तर दिया, “हम जानते हैं कि यह हमारा बेटा है और यह जन्म से अंधा था; किन्तु हम यह नहीं जानते कि यह अब केसे देखने लगा है। हम यह भी नहीं जानते कि किसने इसकी आँखें अच्छी की हैं। यह सयाना है, इसी से पूछ लीजिए। यह अपनी बात आप ही बोलेगा”। उसके माता-पिता ने यह इसलिए कहा कि वे यहूदियों से डरते थे। यहूदी यह निर्णय कर चुके थे कि यदि कोई येसु को मसीह मानेगा, तो वह सभागृह से बहिष्कृत कर दिया जायेगा । इसलिए उसके माता-पिता ने कहा- यह सयाना है, इसी से पूछ लीजिए। उन्होंने उस मनुष्य को, जो पहले अंधा था, फिर बुला भेजा और उसे शपथ दिला कर कहा, “हम जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है”। उसने उत्तर दिया, “वह पापी है या नहीं, इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। मैं यही जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखने लगा हूँ”।
इस पर उन्होंने उस से फिर पूछा, “उसने तुम्हारे साथ क्या किया? उसने तुम्हारी आँखें केसे अच्छी की?” उसने उत्तर दिया, “मैं आप लोगों को बता चुका हूँ, लेकिन आपने उस पर ध्यान नहीं दिया। क्यों सुनना चाहते हैं? क्या आप लोग भी उनके शिष्य बनना चाहते हैं?” वे उसे बुरा-भला कहने लगे और अब फिर बोले, “तू ही उसका शिष्य बन जा। हम तो मूसा के शिष्य हैं। हम जानते हैं कि ईश्वर ने मूसा से बात की है, किन्तु उस मनुष्य के विषय में हम नहीं जानते कि वह कहाँ का है”।
उसने उन्हें उत्तर दिया, “यही तो आश्चर्य की बात है। उन्होंने मुझे आँखें दी हैं और आप लोग यह भी नहीं जानते कि वह कहाँ के हैं । हम जानते हैं कि ईश्वर पापियों की नहीं सुनता। वह उन लोगों की सुनता है, जो भक्त हैं और उसकी इच्छा पूरी करते हैं। यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने जन्मांध को आँखें दी हैं। यदि वह मनुष्य ईश्वर के यहाँ से नहीं आया होता, तो वह कुछ भी नहीं कर सकता”।]
उन्होंने उस से कहा, “तू तो बिलकुल पाप में ही जन्मा है, तू हमें सिखलाने चला है!” और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया। येसु ने सुना कि फरीसियों ने उसे बाहर निकाल दिया है; इसलिए मिलने पर उन्होंने उस से कहा, “क्या तुम मानव पुत्र में विश्वास करते हो?” उसने उत्तर दिया, “महोदय! मुझे बता दीजिए कि वह कौन है, जिससे मैं उस में विश्वास कर सकूँ"। येसु ने उस से कहा, “तुमने उसे देखा है; वह तो तुम से बातें कर रहा है”। उसने उन्हें दण्डवत् करते हुए कहा, “प्रभु! मैं विश्वास करता हूँ”।
येसु ने कहा, “मैं लोगों के पृथक्करण का निमित्त बन कर संसार में आया हूँ; जिससे जो अंधे हैं, वे देखने लगें और जो देखते हैं, वे अंधे बन जायें”। जो फरीसी उनके साथ थे, वे यह सुन कर बोले, “क्या हम भी अंधे हैं?” येसु ने उन से कहा, “यदि तुम लोग अंधे होते, तो तुम्हें पाप नहीं लगता; परन्तु तुम ही कहते हो कि हम देखते हैं, इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है”।
यह प्रभु का सुसमाचार है।
विश्वास घोषणा एवं धर्मसार
मैं सर्वशक्तिमान् पिता-
स्वर्ग और पृथ्वी, सब दृश्य और अदृश्य वस्तुओं के सृष्टिकर्त्ता एक ही ईश्वर में विश्वास करता (करती) हूँ। मैं ईश्वर के इकलौते पुत्र, एक ही प्रभु येसु ख्रीस्त में विश्वास करता (करती) हूँ, जो सभी युगों के पहले पिता से उत्पन्न है। वह ईश्वर से उत्पन्न ईश्वर, प्रकाश से उत्पन्न प्रकाश, सच्चे ईश्वर से उत्पन्न सच्चा ईश्वर है; वह बनाया हुआ नहीं, बल्कि उत्पन्न हुआ है, वह पिता के साथ एकतत्त्व है: उसी के द्वारा सब कुछ सृष्ट हुआ। वह हम मनुष्यों के लिए और हमारी मुक्ति के लिए स्वर्ग से उतरा। (नतमस्तक होकर) और पवित्र आत्मा के द्वारा कुँवारी मरियम से देह धारणकर मनुष्य बना।" उसने पोतुस पिलातुस के समय दुःख भोगा वह हमारे लिए क्रूस पर ठोंका गया; वह मर गया और दफनाया गया और धर्मग्रंथ के अनुसार तीसरे दिन फिर से जी उठा। वह स्वर्ग में आरोहित हुआ और पिता के दाहिने विराजमान है। वह जीवितों और मृतकों का न्याय करने महिमा के साथ फिर आएगा और उसके राज्य का कभी अंत नहीं होगा। मैं पवित्र आत्मा में विश्वास करता (करती) हूँ, वह प्रभु और जीवनदाता है: वह पिता और पुत्र से प्रसृत होता है। पिता और पुत्र के साथ उसकी आराधना और महिमा होती है: वह नबियों के मुख से बोला है। मैं एक, पवित्र, काथलिक तथा प्रेरितिक कलीसिया में विश्वास करता (करती) हूँ। मैं पापों की क्षमा के लिए एक ही बपतिस्मा स्वीकार करता (करती) हूँ और मृतकों के पुनरुत्थान तथा अनंत जीवन की बाट जोहता (जोहती) हूँ। आमेन।
विश्वासियों के निवेदन
पु०: प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज के हमने सुना सुसमाचार में कि येरीखो का एक अंधा व्यक्ति सड़क किनारे बैठकर भीख माँगा करता था। लेकिन वह अपनी अंतर्दृष्टि द्वारा ईश्वर के बारे में जानकारी प्राप्त करने में पढ़े-लिखे और शारीरिक दृष्टि वाले लोगों की तुलना में कहीं अधिक कामयाब था। हम येसु के द्वारा पिता ईश्वर से अपनी सब जरूरतों के लिए प्रार्थना करें और कहें:
सबः हे पिता, हमारी प्रार्थना सुन।
1. हम अपने संत पिता, धर्माध्यक्ष, अन्य धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं धर्मसंघियों के लिए प्रार्थना करें कि वे ईश वचन तथा अन्य संस्कारों के माध्यम से सभी ख्रीस्तीय विश्वासियों को प्रकाश रूपी ख्रीस्त के पास ला सकें। इसके लिए हम पिता ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
2. हम उन शिशुओं के लिए प्रार्थना करें जो जन्म से अन्धे, गूँगे, लँगड़े तथा बहरे हैं, उनके लिए शिक्षा और सभी प्रकार की सहायता व सुविधा करायी जाय ताकि उन्हें रोजगार और जीविका चलाने के लिए काम मिल सके। इसके लिए हम पिता ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
3. हम उन सभी लोगों के लिए प्रार्थना करें जो अनेक तरह की शारीरिक या मानसिक बीमारियों से पीड़ित हैं प्रभु येसु उन पर दया करें, उन्हें सांत्वना दें और उन्हें स्वास्थ्य करें ताकि वे आनंद व शांति का अनुभव करें। इसके लिए हम पिता ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
4. हम इस पवित्र मिस्सा बलिदान में उपस्थित अपने सभी ख्रीस्तीय विश्वासियों के लिए प्रार्थना करें कि हम पाखण्डता और बाह्याडंबर से दूर रह सकें और प्रभु के प्रकाश के पास आयें। इसके लिए हम पिता ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
(निजी प्रार्थनाएँ)
पु०: हे स्वर्गिक पिता ईश्वर, अपने पुत्र येसु को एक उपहार के रूप में हमें प्रदान करने के लिए हम तुझको धन्यवाद देते हैं जिन्होंने अंधे व्यक्ति को दृष्टि दी। हम में से अनेक लोग ऐसे हैं जिनके पास शारीरिक रूप से देखने के लिए आँखें हैं, किन्तु वे देख नहीं पाते क्योंकि वे आत्मिक रूप से अंधे हैं। हम पर यह कृपा दृष्टि कर कि हम अपने आत्मिक अंधेपन से दूर रह सकें और मसीह के प्रकाश में आ सकें। हम यह प्रार्थना करते हैं, हमारे प्रभु ख्रीस्त के द्वारा। आमेन।
मेरा जीवन तेरा दान, तुझे अर्पण भगवन,
अपना लो मेरा तन, मेरा मन भंगवन।
सुख-दुःख की यह रोटी लाये हम वेदी पर-2
बदलो इसे अब अपने शरीर में प्रभु,
एक बने यह तेरे साथ-तेरे साथ।
दाखरस का यह कटोरा, अर्पित हैं चरणों में -2
बदलो इसे अब अपने लहू में प्रभु,
ग्रहण करें हम सब के साथ-सब के साथ।
यूखरिस्तीय समारोह
पु०: धन्य है तू, सकल सृष्टि के प्रभु ईश्वर! यह रोटी, जिसे हम तुझे चढ़ाते हैं, हमें तेरी उदारता से मिली है। यह पृथ्वी की उपज है और मनुष्य के परिश्रम का फल, यह हमारे लिए जीवन की रोटी बन जाएगी।
सब: धन्य हो ईश्वर, अनंत काल तक!
पु०: धन्य है तू, सकल सृष्टि के प्रभु ईश्वर! यह दाखरस, जिसे हम तुझे चढ़ाते हैं, हमें तेरी उदारता से मिला है। यह दाखलता की उपज है और मनुष्य के परिश्रम का फल, यह हमारे लिए आध्यात्मिक पेय बन जाएगा।
सब: धन्य हो ईश्वर, अनंत काल तक!
पु०: भाइयो और बहनो, प्रार्थना कीजिए कि सर्वशक्तिमान् पिता ईश्वर मेरा और आपलोगों का यह बलिदान स्वीकार करे।
सब: प्रभु अपने नाम की स्तुति तथा महिमा के लिए और हमारे तथा अपनी समस्त पवित्र कलीसिया के लाभ के लिए आपके हाथों से यह बलिदान स्वीकार करे।
अर्पण -प्रार्थना
हे प्रभु, हम हर्षित मन से ये दान तेरे सम्मुख लाते हैं। ये अनंत जीवन के लिए हमारी औषधि हैं। ऐसी कृपा कर कि हम श्रद्धापूर्वक इनका आदर करें और समस्त संसार की मुक्ति के लिए इन्हें अर्पित करें। हमारे प्रभु ख्रीस्त के द्वारा।
अवतरणिका: जन्मांध व्यक्ति
पु०: प्रभु आपलोगों के साथ हो। सब: और आपकी आत्मा के साथ।
पु०: प्रभु में मन लगाइए।सब: हम प्रभु में मन लगाए हुए हैं।
पु०: हम अपने प्रभु ईश्वर को धन्यवाद दें। सब: यह उचित और न्यायसंगत है।
हे प्रभु, पवित्र पिता, यह वास्तव में उचित और न्यायसंगत है, सर्वशक्तिमान् और शाश्वत ईश्वर, हमारा कर्त्तव्य तथा कल्याण है। कि हम सदा और सर्वत्र अपने प्रभु ख्रीस्त के द्वारा तुझे धन्यवाद दें।
इन्होंने अंधकार में भटकती मानवजाति पर देहधारण का रहस्य प्रकट करके उसे विश्वास का दिव्य आलोक प्रदान किया, और आदि पाप की दासता में जन्म लेने वालों को बपतिस्मा के जल से शुद्ध करके अपने दत्तक पुत्र-पुत्रियाँ बना लिया है। इसलिए, स्वर्ग और पृथ्वी के सभी प्राणी नूतनगान से तेरी आराधना करते और हम भी असंख्य स्वर्गदूतों के साथ तेरे यश की घोषणा करते हैं:
पवित्र, पवित्र, पवित्र प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर! स्वर्ग और पृथ्वी तेरी महिमा से परिपूर्ण हैं। धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं।सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना!धन्य हैं वे, जो प्रभु के नाम पर आते हैं।सर्वोच्च स्वर्ग में होसन्ना!
प्रभु तू ही पावन है
प्रभु तू ही पावन है, प्रभु तू ही जीवन है
सर्वशक्तिमान परमेश्वर का तू है इकलौता
होसान्ना होसान्ना -4
महिमा उसकी न्यारी है, महिमा उसकी प्यारी है
दूतों के संग हम मिलकर, सब गायें होसान्ना।
धन्य है जो आया है, धन्य है जो आयेगा
ऊँचे स्वरों से मिलकर, हम गायें होसान्ना।
होसान्ना होसान्ना -4
C हे प्रभु, तू वास्तव में पवित्र है, सारी पवित्रता का स्रोत है।
CC हम तुझसे प्रार्थना करते हैं: तू इन उपहारों को अपने आत्मा के संस्पर्श से पवित्र कर देकि ये हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त के शरीर तथा रक्त बन जाएँ।जब वे स्वेच्छा से मृत्यु के लिए सौंपे गयेउन्होंने रोटी ली, तुझे धन्यवाद दिया और रोटी तोड़कर उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा:
तुम सब इसे लो और इसमें से खाओ, क्योंकि यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए बलि चढ़ाया जाएगा।
इसी भाँति, भोजन के बादउन्होंने कटोरा लिया, तुझे धन्यवाद दिया और उसे अपने शिष्यों को देते हुए कहा:
तुम सब इसे लो और इसमें से पिओ, क्योंकि यह मेरे रक्त का कटोरा है,नवीन और अनंत व्यवस्थान का रक्त, जो तुम्हारे और बहुतों के पापों की क्षमा के लिए बहाया जाएगा।तुम मेरी स्मृति में यह करो।
C विश्वास का रहस्य।
सब: हे प्रभु, हम तेरी मृत्यु और पुनरुत्थान की घोषणा तेरे पुनरागमन तक करते रहेंगे।
अथवा
हे प्रभु, जब हम यह रोटी खाते और यह कटोरा पीते हैं, तेरे पुनरागमन तक तेरी मृत्यु की घोषणा करते हैं।
अथवा
हे विश्व के उद्धारकर्त्ता, हमारा उद्धार कर। तूने अपने क्रूस तथा पुनरुत्थान द्वारा हमें मुक्त किया है।
CC इसलिए, हे प्रभु, हम ख्रीस्त की मृत्यु और पुनरुत्थान की स्मृति में तुझे जीवन की रोटी और मुक्ति का कटोरा चढ़ाते हैं; हम तुझे धन्यवाद देते हैं कि तूने हमें अपने सम्मुख उपस्थित होने और अपनी सेवा करने का सौभाग्य प्रदान किया है। हमारा नम्र निवेदन हैकि हम सब ख्रीस्त का शरीर और रक्त ग्रहण करके पवित्र आत्मा के द्वारा एकता के सूत्र में बँधे रहें।
C1 हे प्रभु, हमारे संत पिता (नाम), हमारे धर्माध्यक्ष (नाम) और सभी याजकों के साथ विश्व भर में फैली अपनी कलीसिया की सुधि ले, तथा इसे प्रेम में सिद्ध बना दे।हे प्रभु, अपने सेवक (अपनी सेविका) (नाम) की सुधि ले जिनको तूने (आज) इस लोक से अपने यहाँ बुला लिया है, इन्हें यह वर दे कि जैसे ये बपतिस्मा में तेरे पुत्र की मृत्यु के (की) सहभागी हुए थे (हुई थीं),वैसे ही उनके पुनरुत्थान का भी सौभाग्य प्राप्त करें।
C2 हमारे उन भाई-बहनों की भी सुधि ले, जो पुनरुत्थान की आशा में परलोक सिधार चुके हैं, उन्हें और सभी मृतकों को अपने दर्शन का सौभाग्य प्रदान कर। हम सब पर दयादृष्टि डाल कि हम भी अनंत जीवन के सहभागी बनें और ईश्वर की माता धन्य कुँवारी मरियम, उनके वर धन्य योसेफ, धन्य प्रेरितों तथा सब संतों के साथ, जो युग-युग में तेरे प्रति विश्वस्त बने रहे, तेरी स्तुति और महिमा कर सकेंतेरे पुत्र येसु ख्रीस्त के द्वारा।
CC इन्हीं प्रभु ख्रीस्त के द्वारा, इन्हीं के साथ और इन्हीं में, हे सर्वशक्तिमान् पिता ईश्वर, पवित्र आत्मा के साथ, सारा गौरव तथा सम्मान युगानुयुग तेरा ही है। सब: आमेन।
कम्यूनियन-विधि
पु०: हम सब मिलकर पिता ईश्वर से प्रार्थना करें, जैसे प्रभु येसु ने हमें सिखाया है:
सब: हे हमारे पिता, जो स्वर्ग में है,तेरा नाम पवित्र माना जाये,तेरा राज्य आये,तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में, वैसे पृथ्वी पर भी पूरी हो।हमारा प्रतिदिन का आहार आज हमें देऔर हमारे अपराध हमें क्षमा करजैसे हम भी अपने अपराधियों को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न डाल, परन्तु बुराई से बचा।
पु०: हे प्रभु, हम तुझसे प्रार्थना करते हैं: सभी बुराइयों से हमें बचाऔर इस जीवन में हमें कृपापूर्वक शांति प्रदान कर।हम तेरी दया से सदा पाप से दूर और हर विपत्ति से सुरक्षित रहेंऔर उस दिन की प्रतीक्षा करते रहें,जब हमारे मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त फिर आकर हमारी धन्य आशा पूरी करेंगे।
सब: क्योंकि तेरा राज्य, तेरा सामर्थ्य और तेरी महिमा अनंत काल तक बनी रहती है।
पु०: हे प्रभु येसु ख्रीस्त, तूने अपने प्रेरितों से कहा है:'मैं तुम्हारे लिए शांति छोड़ जाता हूँ, अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ। तू हमारे पापों पर नहीं, अपनी कलीसिया के विश्वास पर दृष्टि डाल, और कृपापूर्वक उसे शांति तथा एकता प्रदान कर तू युगानुयुग जीता और राज्य करता है। सब: आमेन।
पु०: प्रभु की शांति सदा आपलोगों के साथ हो। सब: और आपकी आत्मा के साथ। पु०: परस्पर शांति- अभिवादन कीजिए।
सब:
हे ईश्वर के मेमने, तू संसार के पाप हर लेता है- हम पर दया कर ।
हे ईश्वर के मेमने, तू संसार के पाप हर लेता है- हम पर दया कर।
हे ईश्वर के मेमने, तू संसार के पाप हर लेता है- हमें शांति प्रदान कर।
पु०: देखिए, ईश्वर का मेमना! इन्हें देखिए, जो संसार के पाप हर लेते हैं। धन्य हैं वे, जो मेमने के भोज में बुलाये गये हैं।
सब: हे प्रभु! मैं इस योग्य नहीं हूँ कि तू मेरे यहाँ आये, किन्तु एक ही शब्द कह दे और मेरी आत्मा चंगी हो जाएगी।
प्रसाद- भजन
तेरे दिल में मुझको जगह मिली, मेरा दिल पुकारे ग्रसीह- मसीह,
तेरा प्यार है मेरी जिन्दगी, मेरी जिन्दगी है मेरा मसीह।
मैं अंधेरी राह पे हो लिया, मैं गुनाह की वादी में खो गया,
तेरी आँख मुझ पे लगी रही, मेरे पास आई सलामती।
मैं गुनाह के हाथ बिका हुआ, यह है सच कि मैं था मरा हुआ
तूने मेरी मौत कबूल की, मुझे बख्श दी तूने जिन्दगी।
न फिरूँगा अब कहीं दर-ब-दर, तू हुआ है खुद मेरा हम सफर,
मुझे मंजिलें है पुकारती, मैं रहूँगा अब तेरे साथ ही।
प्रसाद- भजन
प्रभु ने मेरी आँखों पर मिट्टी मली: मैं गया और नहाया, और मैंने दृष्टि प्राप्त कर विश्वास किया।
कम्यूनियन के बाद प्रार्थना
हे ईश्वर, तू इस संसार में आने वाले प्रत्येक मनुष्य को ज्योति प्रदान करता है। अपनी कृपा के आलोक से हमारा हृदय ज्योतिर्मय कर दे कि हमारे विचार सदा तेरे योग्य हों और हम सच्चे हृदय से तुझे प्यार करें। हम यह प्रार्थना करते हैं, अपने प्रभु खीस्त के द्वारा।
आशीष-प्रार्थना
हे प्रभु, अपने भक्तों की पुकार पर ध्यान दे और दुर्बलों को सबल बना दे। मृत्यु के अंधकार में भटकने वालों को शाश्वत ज्योति तथा जीवन प्रदान कर। इस तरह सारी बुराइयों से मुक्त होकर हम ज्योति तक पहुँच सकेंगे। ऐसी कृपा कर, हमारे प्रभु खीस्त के द्वारा।
विसर्जन गीत
येसु ने अपना खून बहाकर मुझे बचा लिया,
क्यों न मैं गाऊँगा गीत उसी के मुझे बचा लिया।
जब मैं गुनाहों में पड़ा हुआ था येसु आ गया,
उसके मारे जाने से मैं जीवन भी पा गया, -2
इसलिए गाऊँगा गीत उसी के मुझे बचा लिया॥
मेरे गुनाहों का बोझ उठाकर क्या-क्या न उसने सहा
मेरे गुनाहों को माफ कराने में खून भी उसका बहा - 2
कितना अनोखा है प्यार प्रभु का, मुझे बचा लिया।
Homily / Sermon 01
चालीसे का चौथा रविवार 19 March 2023 वर्ष A
सामूएल 16:1, 6-7, 10-13, एफेसियों 5:8-14, योहन 9:1-41
जिस ईश्वर में हम विश्वास करते हैं वह प्रकाश है। कोई भी अँधेरा इस प्रकाश को दूर नहीं कर सकता। जो इस ज्योति में चलते हैं वे कभी ठोकर नहीं खाएंगे। इस्राएल का पहला राजा साउल ऐसा नहीं कर सका इसलिए ईश्वर दाऊद को अपना उत्तराधिकारी चुनता है। वह जिसे इस्राएल के लोगों की चरवाही करने के लिए चुना गया था, उसने ईश्वर को अच्छे दिव्य चरवाहे के रूप में अनुभव किया। सन्देश स्पष्ट है: जिन्हें ईश्वर ने चुना है उन्हें ज्योति में चलने के लिए बुलाया गया है ताकि ज्योति की सन्तान कहला सकें। यही हमारी पहचान है। हम सभी सोचने वाले प्राणी हैं लेकिन ईश्वर की तरह सोचने का आह्वान एक बड़ी चुनौती है।पहला पाठ बताता है कि किस प्रकार दाऊद को ईश्वर द्वारा चुना गया और सामूएल द्वारा अभिषिक्त किया गया, जो अंतिम न्यायकर्ता और प्रथम नबी था। सामूएल साऊल की मृत्यु पर बहुत समय तक शोक करता रहा, परन्तु प्रभु कहता है कि उसने साऊल को अस्वीकार कर दिया है और बेतलेहेमी यिशय के पुत्र दाऊद को चुन लिया है। सामूएल यिशय के पहिलौठे पुत्र एलीआब के बाहरी रूप को देखकर प्रभावित हुआ, परन्तु प्रभु जो उसके मन को देखता है, उसको तुच्छ जाना। मनुष्य के पास दूसरों के दिल को पढ़ने की क्षमता नहीं है। अकेले प्रभु के पास यह गुण है। बाहरी रूप से जाने की प्रवृत्ति दरार और संघर्ष का कारण बनती है। दाऊद रंग गुलाबी, उसकी आँखें सुन्दर और उसका शरीर सुडौल था। अपने पिता ने उन्हें राजा बनने के योग्य नहीं समझा। परन्तु प्रभु ने सामूएल को उठकर उसका अभिषेक करने की आज्ञा दी। हम ध्यान देते हैं कि उस समय प्रभु की आत्मा दाऊद पर बलपूर्वक उतरी और उसके साथ रही। हाँ! दाऊद प्रभु का चुना हुआ और अभिषिक्त व्यक्ति था। ईश्वर ने दाऊद को अपना बनाया था क्योंकि ईश्वर अपने लोगों को पूरी तरह से अधिकार में रखता है।अंतर भजन हमारे लिए प्रसिद्ध "भला चरवाहा स्तोत्र" प्रस्तुत करता है। इस्राएल के लोगों की चरवाही करने के लिए चुने गए राजा दाऊद ने ईश्वर को वास्तविक चरवाहे के रूप में देखा। भजन पहले पाठ के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है। ईश्वर दाऊद की अगुआई करता है, सही रास्तों पर उसका मार्गदर्शन करता है, सभी खतरों से उसकी रक्षा करता है, और उसे पारिवारिक भोज में भाग लेने में सक्षम बनाता है। भजनकार दाऊद उल्लासित है कि वह हमेशा के लिए ईश्वर की उपस्थिति में रहेगा। उसके पास किसी चीज की कमी नहीं है और इस प्रकार वह प्रभु के विधान का जश्न मनाता है।दूसरा पाठ एफेसियों के नाम लिखा गया संत पौलुस के पत्र से है। वास्तव में, यह 80-100 ईस्वी के बीच लिखा गया था। पॉलाइन मंडली का कोई व्यक्ति इसे पौलुस के नाम से लिखता है। वह अपने पाठकों को बताना चाहता है कि ईसाई अब अन्यजातियों की तरह नहीं रह सकते। इसलिए, वह उन्हें और हमें बाद में ज्योति की संतान के रूप में जीने के लिए आमंत्रित करता है। जो ज्योति में हैं वे ऐसे फल लाते हैं जो उन सब बातों में पाए जाते हैं जो अच्छी, सही और सच्ची हैं। विश्वासियों को यह पता लगाना है कि प्रभु को क्या भाता है। अन्धकार में जो कुछ बुराई की जाती है वह ज्योति के द्वारा प्रकट हो जाएगी। एफेसियों का लेखक उन लोगों को डांटने के लिए प्रेरित करता है जो अंधकार के कार्य करते हैं। आगे आने वाले सुसमाचार पाठ में भी येसु यही करते हैं।सुसमाचार येसु द्वारा जन्म से अंधे व्यक्ति को चंगा करने की घटना को प्रस्तुत करता है। कई लोगों को संदेह था कि क्या वह वास्तव में अंधा पैदा हुआ था, भले ही उस व्यक्ति और उसके माता-पिता ने इस तथ्य को स्वीकार किया हो। येसु के शिष्यों को इस बात पर गंभीर संदेह था कि उसका अंधापन उसके या उसके माता-पिता के पाप का परिणाम था। येसु ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि यह आदमी चंगा हो जाएगा और इस प्रक्रिया में ईश्वर की महिमा भी प्रकट होगी। एक बिंदु पर, फरीसी चंगाई को स्वीकार करते हैं लेकिन येसु की पहचान के संबंध में एक प्रश्न उठता है। इस प्रकार येसु शत्रुता और दुश्मनी का अनुभव करता है। उस आदमी के ठीक हो जाने के बाद, कुछ लोगों को संदेह हुआ कि यह वही व्यक्ति है या नहीं। येसु के द्वारा शारीरिक अंधापन ठीक किया जा सकता था लेकिन मुख्य याजकों और फरीसियों के लाक्षणिक अंधेपन या आध्यात्मिक अंधेपन को उनके अविश्वास के कारण ठीक नहीं किया जा सकता था। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस व्यक्ति ने चंगाई का अनुभव किया है वह विश्वास की यात्रा करता है और अंत में येसु को पहचानता है और उस पर अपने विश्वास को स्वीकार करता है। योहन के सुसमाचार में बताए गए येसु के छठे चिन्ह का यही उद्देश्य है। केवल अंधे व्यक्ति और कुछ यहूदियों ने आध्यात्मिक यात्रा के मार्ग का अधिकार चुना। महायाजकों और फरीसियों ने इसके विपरीत दिशा ली और न केवल येसु से दूर हो गए बल्कि उसे मार डालने की योजना भी बनाई। आज भी दुनिया में, किसी न किसी रूप में इस प्रकार की घटना घटती रहती है। इस प्रकार की घटनाओं में हमारा योगदान क्या है?
Homily / Sermon 02
आज के पाठों का मुख्य विषय यह है कि ईश्वर येसु मसीह में और उसके द्वारा सब कुछ नया बनाता है। हम उस ज्योति की सन्तान हैं जिसका बपतिस्मा उस महिमा में हुआ है जो मसीह है। हमें मसीह के जीवन में दीक्षित किया गया है जो संसार की ज्योति है। एक बार जब हम मसीह में बपतिस्मा ले लेते हैं तो हम उसकी नई सृष्टि, ईश्वर के अपने परिवार के सदस्य बन जाते हैं। आज जब हम चालीसा काल के चौथे रविवार में प्रवेश कर रहे हैं तो हमें खुद को नवीनीकृत करने और अपने प्रभु के प्रेमपूर्ण निमंत्रण का अनुभव करने के लिए बुलाया जाता है। आरंभिक कलीसिया में बपतिस्मा लेने वालों और सार्वजनिक पापियों को यह समझने के लिए बुलाया गया था कि केवल येसु ही एक नया जीवन है। आज का सुसमाचार हमें येसु के साथ संसार की ज्योति के रूप में प्रस्तुत करता है। आज हमारे पास जन्मजात अंधे व्यक्ति के इलाज की अद्भुत कहानी है। येसु ने उनसे कहा कि उसे अपने भेजने वाले के काम दिन रहते ही कर लेने चाहिए। वह रात आ रही है जब कोई काम नहीं कर सकता। एक बार जब अंधा व्यक्ति ठीक हो जाता है, तो वह येसु को अपने प्रभु के रूप में देखने में सक्षम हो जाता है, जो कि धार्मिक नेता करने में असमर्थ थे।
आज का पहला पाठ हमें इस्राएल के राजा के रूप में दाऊद के अभिषेक के बारे में बताता है। सामूएल की पुस्तक में, दाऊद को पहले एक संगीतकार के रूप में प्रस्तुत किया गया है जिसे शाऊल के जीवन में उसे शांत करने के लिए लाया गया था और बाद में एक सक्षम योद्धा के रूप में जो शाऊल के लिए बहुत उपयोगी था। पहले से ही राजा शाऊल ईश्वर के प्रति विश्वासघाती व्यक्ति साबित हुआ था और प्रभु ने उसे अस्वीकार कर दिया और सामूएल नबी को ईश्वर के नए चुने हुए राजा का अभिषेक करने के लिए बेथलहम के जेसी जाने के लिए नियुक्त किया। यिशई के पुत्रों में से जो घर में उपस्यित थे, उन में से किसी को ईश्वर ने नहीं चुना। सामूएल को ईश्वर द्वारा स्पष्ट रूप से याद दिलाया गया था कि बुलाहट किसी के बाहरी रूप पर आधारित नहीं है क्योंकि ईश्वर व्यक्ति के हृदय को देखता है। उसे जल्दी से पता चलता है कि सबसे छोटा भेड़ चराने के दौरान गायब था। सामूएल तुरंत उसके लिए भेजता है और जब दाऊद आता है तो प्रभु सामूएल को उठने और उसका अभिषेक करने के लिए कहता है क्योंकि वह उसका चुना हुआ व्यक्ति है। ईश्वर की आज्ञाकारिता में, सामूएल ने अपने भाइयों की उपस्थिति में दाऊद का अभिषेक किया। उस दिन से प्रभु का आत्मा दाऊद पर बलपूर्वक उतरा जो अन्त में इस्राएल का राजा बना।
इफिसियों के नाम संत पौलुस के पत्र के दूसरे पाठ में हमें ज्योति की सन्तान के रूप में जीने की याद दिलाता है। जबकि पत्र कहता है कि प्रकाश हर तरह की अच्छाई और धार्मिकता और सच्चाई पैदा करता है, प्रकाश और अंधेरे के बीच के अंतर अक्सर सूक्ष्म होते हैं और अंधेरे की तुलना में प्रकाश को चुनना अक्सर अधिक कठिन होता है। कभी-कभी, दुख का प्रकाश आत्म-भोग के अंधेरे के रूप में अस्वीकार्य प्रतीत होता है। मार्ग उन लोगों के बीच एक अंतर प्रस्तुत करता है जो मसीह में जीवन जीते हैं जो प्रकाश का जीवन है और मूर्तिपूजक जो अभी भी अंधेरे में रह रहे हैं। गूढ़ज्ञानवादी शिक्षाओं से प्रभावित होने से उन्हें आगाह करते हुए, संत पौलुस इफिसियों को याद दिलाता है कि एक बार वे अंधेरे में थे, जो कि बुराई का प्रतीक है। परन्तु अब, प्रभु में, वे ज्योति में हैं और इस प्रकार, उन्हें ज्योति की सन्तान के रूप में रहना चाहिए। ज्योति का फल वह सब है जो अच्छा और सही और सत्य है और ज्योति की सन्तान यह जानने की कोशिश करती है कि प्रभु को क्या भाता है। न केवल ज्योति की सन्तान को अन्धकार के निष्फल कार्यों में भाग नहीं लेना चाहिए, बल्कि उनका यह दायित्व भी है कि वे उन्हें उजागर करें।
अंधे पैदा हुए आदमी की कहानी स्पष्ट रूप से जोहानिन कहानी कहने की वास्तविक कृतियों में से एक है। कहानी की आंतरिक गतिशीलता अंधे आदमी को मनुष्य के पुत्र में दृष्टि और विश्वास में आने की प्रक्रिया में दिखाती है, जबकि उसी समय, यहूदी नेता अंधेपन की ओर बढ़ते हैं। येसु ने कहानी के स्वर को यह संकेत देकर सेट किया कि मनुष्य अंधा पैदा हुआ था ताकि उसके माध्यम से ईश्वर के कार्यों को देखा जा सके। इस अंश के माध्यम से, योहन येसु को संसार की ज्योति के रूप में प्रस्तुत करता है। यह अंश चालीसे के दौरान हमें दिए गए तीन बपतिस्मात्मक विषयों अर्थात् जन्मांध को दृष्टि देने वाला प्रकाश, अन्य पानी, कुएं और जीवन में समारी स्त्री के साथ, मृतकों में से लाजरूस को उठाने के साथ में से दूसरा है। ये शक्तिशाली पाठ बपतिस्मा की तैयारी करने वालों के साथ-साथ बपतिस्मा लेने वालों को याद दिलाते हैं कि यह बपतिस्मात्मक जीवन क्या है। सुसमाचार में, हम यहाँ ख्रीस्त की बुलाहट को स्वीकार या अस्वीकार करने की इच्छा का नाटक देखते हैं। जन्म से अंधे व्यक्ति को कहानी की शुरुआत में ही अपनी शारीरिक दृष्टि प्राप्त हो जाती है, लेकिन शेष प्रकरण उसकी आध्यात्मिक दृष्टि के जन्म का पता लगाता है।
जन्म से अंधे व्यक्ति के इलाज के बारे में इस अद्भुत कहानी को प्रस्तुत करने का योहन का उद्देश्य येसु को हमारी ज्योति के रूप में दिखाना है। वास्तविक उपचार चमत्कार पर थोड़ा ध्यान दिया जाता है। जब वह ठीक हो जाता है, तो वह अपने आस-पास की सभी भौतिक चीज़ों को देखता है और येसु को अपने प्रभु के रूप में भी देख पाता है, जो धार्मिक नेता करने में असमर्थ थे। योहन वर्णन करता है कि जब येसु और उसके शिष्य साथ चल रहे थे, तो उनका सामना उस अंधे व्यक्ति से हुआ। शिष्य येसु से उनके अंधेपन का कारण पूछते हैं: चाहे वह उनके अपने पाप हों या उनके माता-पिता के पाप। येसु के समय में, लोकप्रिय धारणा यह थी कि पापों और पुरानी बीमारी या अक्षमता के बीच घनिष्ठ संबंध था और माता-पिता के पापों का प्रभाव उनके बच्चों पर पड़ सकता था। हमें याद है कि जब लकवाग्रस्त व्यक्ति को येसु के चरणों में छत के माध्यम से नीचे उतारा गया था, जो अपनी विकलांगता से चंगा होना चाहता था, आश्चर्यजनक रूप से, येसु के पहले शब्द थे, "तेरे पाप क्षमा हुए।" यहाँ येसु एक व्यक्ति के जीवन में दुखों के अर्थ को स्पष्ट करते हैं। व्यक्ति के अंधेपन का उसके या उसके माता-पिता के पापों से कोई लेना-देना नहीं है। वह अंधा इसलिए है कि उसमें ईश्वर की सामर्थ काम करती हुई दिखाई दे।
येसु कहते हैं कि वह संसार की ज्योति हैं। इन शब्दों से तीन बातें ज्ञात होती हैं। सबसे पहले, अंधे आदमी के चमत्कारी इलाज के द्वारा, येसु स्वयं को दिव्य ज्योति के रूप में पहचान रहे थे। दूसरा, इन शब्दों के माध्यम से, "हमें काम करना चाहिए," येसु अपने शिष्यों को याद दिला रहे थे कि यह भी उनका कर्तव्य है कि वे ईश्वर के कार्यों को करें। तीसरा, यह कहते हुए, "जबकि यह दिन है," येसु यह संकेत दे रहा था कि ईश्वर की कृपा काम कर रही थी, जबकि दिव्य ज्योति मौजूद थी, इसलिए उपस्थित लोगों के रूपांतरण की सुविधा थी। जब ईश्वर का अनुग्रह और ज्योति अब मौजूद नहीं है, न ही वह ज्योति जो ईसाइयों द्वारा ले जाया जा रहा है, तो आध्यात्मिक अंधकार है। तब येसु कुछ बहुत मानवीय करता है। वह जमीन पर थूकता है, थूक से मिट्टी सानी और वह मिट्टी अन्धे की आँखों पर लगाई उस से कहा, "जाओ, सिलोआम के कुण्ड में नहा लो"। सिलोआम का अर्थ है ‘प्रेषित’।
चंगाई की पूरी कहानी हमारे सामने एक महत्वपूर्ण मानवीय समस्या अर्थात् पीड़ा की समस्या को रखता है, और जिस तरह से येसु व्यक्ति से पीड़ा को दूर करता है। जबकि प्राथमिक विषय उपचार और ज्योति है, हमारे पास एक व्यक्ति है जो येसु के धैर्य, समझ, निःस्वार्थता, करुणा, दयालुता, कृपा, रहम, सहानुभूति और चिंता का अनुभव करता है। अपनी शारीरिक पीड़ा से परे, अंधे व्यक्ति को अपने ही लोगों द्वारा गलतफहमी और अस्वीकृति को सहना पड़ता है जबकि येसु उसे सकारात्मक आशा देते हैं। ऐसा लगता है कि सुसमाचार की कहानी के अंधे व्यक्ति ने कई गुण प्राप्त किए हैं जो पीड़ा के माध्यम से आ सकते हैं। उस व्यक्ति के माता-पिता ऐसी सजा भुगतने के बजाय अपनी सत्यनिष्ठा का त्याग करने के लिए तैयार थे। वे जानते थे कि यदि कोई येसु को मसीहा के रूप में स्वीकार करता है तो उसे आराधनालय से निकाल दिया जाएगा।
यद्यपि व्यक्ति के शारीरिक अंधेपन का उपचार और उसकी शारीरिक पीड़ा में कमी तात्कालिक थी, आध्यात्मिक दृष्टि में उसकी वृद्धि क्रमिक थी। वह उद्धारकर्ता की अपनी अस्पष्ट धारणा से विकसित हुआ क्योंकि उस व्यक्ति ने येसु को साहसपूर्वक यह घोषणा करने के लिए कहा कि येसु एक नबी है और अंत में माता-पिता के समर्थन की कमी और येसु को पहचानने के लिए धार्मिक नेताओं की शत्रुता से मुंह मोड़ लिया, जिसे उसने वास्तव में कभी भी आमने-सामने नहीं देखा था। चेहरा, ईश्वर के रूप में जिसकी वह पूजा करता था। फिर जब अंधा आदमी देखने आया तो जो लोग शारीरिक रूप से देखने में सक्षम थे वे अंधे हो गए। फरीसियों के आत्म-केंद्रितता और हृदय की कठोरता ने उन्हें और अधिक अंधा बना दिया, ऐसे लोगों की गुणवत्ता जिन्होंने वास्तव में वास्तविक पीड़ा का अनुभव नहीं किया है
बाल चिकित्सा वार्ड में एक नर्स, छोटे बच्चो की छाती को सुनने से पहले, उनके कानों में स्टेथोस्कोप लगाती है और उन्हें अपने दिल की सुनने देती है। उनकी आँखें हमेशा विस्मय से चमक उठती थीं, लेकिन उसे कभी भी चार वर्षीय डेविड की टिप्पणी के बराबर प्रतिक्रिया नहीं मिली। धीरे से उसने स्टेथोस्कोप को उसके कानों में लगाया और डिस्क को उसके दिल पर रख दिया। 'सुनो', उसने कहा ... 'तुम्हें क्या लगता है कि यह क्या है?' उसने अपनी भौंहों को एक साथ एक पहेलीनुमा रेखा में खींचा और ऊपर देखा जैसे कि अजीब टैप-टैप-टैपिंग के रहस्य में खो गया हो। फिर उसके चेहरे पर एक अद्भुत मुस्कराहट फूट पड़ी और उसने पूछा, 'क्या वह येसु दस्तक दे रहा है?'
एक बार एक छोटे से कस्बे की अदालत में एक अजीबोगरीब मामला आया। एक बुजुर्ग व्यक्ति को दो रोटियां चुराते हुए पकड़ा गया था। उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जिन्होंने 120 लोगों की उपस्थिति में पूरी सुनवाई की, जो उत्सुकता से फैसला सुनने आए थे। उस आदमी ने कारण बताया कि उसकी पत्नी, उनके बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता भूखे थे और वह बेरोजगार था और उसके पास अपने भूखे परिवार को खिलाने के लिए रोटी खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। सवाल पूछने और दलीलें सुनने के बाद, जज बहुत गुस्से में थे और उन्होंने कहा कि यह एक भयानक अपराध है और उस आदमी पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए और उसने एक सौ रुपये का जुर्माना लगाया। आरोपी चोर लज्जित हुआ और अपना सिर नीचे कर लिया क्योंकि उसके पास भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे। न्यायाधीश ने तब एक अजीब बात की। उसने चुपचाप अपना पर्स निकाला और एक सौ रुपये का नोट निकाला और अधिकारी को आरोपी की ओर से भुगतान स्वीकार करने के लिए कहा। फिर उन्होंने आवाज उठाई और कहा कि यह कुछ ज्यादा ही गुनाह है जब एक बिना नौकरी के आदमी को परिवार का पेट भरने के लिए रोटी चुरानी पड़ती है जबकि 120 लोग मौज-मस्ती देखकर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। सभी उपस्थित लोगों पर प्रति व्यक्ति एक रुपये का जुर्माना लगाया जाता है और उस पैसे को आरोपी व्यक्ति को भोजन खरीदने के लिए सौंप दिया जाता है और उसे अगले दिन आने के लिए कहा जाता है और वह उसे नौकरी दिलवा देगा।
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